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धर्म-अध्यात्म
जब 624 ईस्वी में मनी थी पहली ईद, जानें इतिहास और जकात का महत्व
Tulsi Rao
2 May 2022 6:16 PM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अल्लाह की रहमत और बरकत से रमजान (Ramadan 2022) करीब 1 महीने से चल रहा है. जिसका अब आखिरी चरण चल रहा है. अब, बस लोगों को चांद के दिखने का इंतजार है. चांद दिखने के साथ ही इस बार का रमजान का महीना ईद (eid festival 2022) के साथ पूरा हो जाएगा. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान के 10वें शव्वल की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है. इस बार ईद-उल-फितर (Eid-Ul-Fitr 2022) 2 मई की शाम को शुरू होगी और चांद का दीदार होने पर 3 मई को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा. ऐसे में ईद के इस मुबारक मौके पर आज हम आपको इससे जुड़ा बेहद खूबसूरत इतिहास और जकात का महत्व बताने जा रहे हैं.
चांद देखने के बाद ईद की तारीख तय होती है. रमजान के पाक महीने में रोजे रखने के बाद रोजेदार ईद मनाते हैं. मान्यता है कि इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में जीत हासिल की थी और इसी जीत की खुशी में इस्लाम के अनुयायी हर साल ईद मनाते हैं. इस बार की ईद इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार पूरे 30 रोजे रखे गए. वरना कई बार चांद का दीदार पहले हो जाने पर 29 दिन के ही रोजे हो पाते हैं.
624 ईस्वी में मनी थी पहली ईद
कहा जाता है कि 624 ईस्वी में पहली बार ईद उल फितर मनाया गया था. यह त्योहार रोजेदारों के लिए एक इनाम की तरह भी होता है जो उन्हें एक महीने के कठिन रोजे रखने के बाद मिलता है. इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, सेवइयां समेत कई तरह के पकवान खाते हैं. साथ ही मस्जिद में साथ में मिलकर नमाज पढ़ते हैं, अमन-चैन की दुआ मांगते हैं और एक-दूसरे से गले मिलते हैं.
अलग-अलग दिन मनाई जाती है ईद
चांद दिखने के साथ ही रमजान का महीना शुरू होता है और चांद दिखने पर ही ईद मनाई जाती है. चूंकि इस्लामिक कैलेंडर की गणनाएं चंद्रमा के आधार पर की जाती हैं इसलिए दुनिया के अलग अलग देशों में ईद अलग-अलग दिन मनाई जाती है. आमतौर पर सऊदी अरब में भारत से एक दिन पहले ईद मनाई जाती है.
जकात का है बड़ा महत्व
हर धर्म की तरह इस्लाम में भी जकात यानी कि दान को बड़ा महत्व दिया गया है. ईद का त्योहार भी जकात के बिना पूरा नहीं होता है. इस दिन लोग खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्हें 30 दिन के रोजे रखने की ताकत दी. साथ ही ईद की खुशियां मनाते हैं और गरीबों को जकात देते हैं. कुरान में कहा गया है कि ईद के मौके पर गरीब लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर देना चाहिए इससे अल्लाह हमेशा मेहरबान रहते हैं. इसके अलावा बच्चों को तोहफे के रूप में ईदी भी बांटी जाती है.
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