धर्म-अध्यात्म

जब माता लक्ष्मी की वजह से रो पड़े थे भगवान विष्णु, जानिए पौराणिक कथा

Triveni
7 Jan 2021 12:06 PM GMT
जब माता लक्ष्मी की वजह से रो पड़े थे भगवान विष्णु, जानिए पौराणिक कथा
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पौष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पौष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी (Saphala Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान नारायण की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. यह एकादशी कल्याण करने वाली है. एकादशी समस्त व्रतों में श्रेष्ठ होती है. हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं. जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. भगवान विष्णु से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं. आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा के बारे में-

पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री हरि एक बार धरती भ्रमण के लिए जा रहे थे. तब देवी लक्ष्मी ने उन्हें कहा कि वो भी उनके साथ चलना चाहती हैं. तब विष्णु जी ने कहा कि वो उनके साथ एक शर्त पर ही चल सकती हैं. लक्ष्मी जी ने शर्त पूछी तो विष्णु जी ने कहा कि धरती पर चाहें कोई भी स्थिति क्यों न आए उन्हें उत्तर दिशा की तरफ नहीं देखना है. लक्ष्मी जी ने शर्त मानी और श्री हरि के साथ चल दीं.
जब दोनों धरती का भ्रमण कर रहे थे तब देवी की नजर उत्‍तर द‍िशा की तरफ पड़ी. वहां इतनी ज्यादा हरियाली थी कि वो खुद को रोक न पाईं और बगीचें की तरफ चल दीं. वहां से उन्होंने एक फूल तोड़ा और विष्णु जी के पास आ गईं. विष्णु जी लक्ष्मी जो देखते ही रो पड़े. तब मां लक्ष्मी को विष्णु जी की शर्त याद आ गई. श्री हरि ने कहा कि बिना किसी से पूछे किसी भी चीज को छूना अपराध है. यह सुन देवी लक्ष्मी को एहसास हुआ कि उनसे गलती हो गई है. उन्होंने माफी मांगी. लेकिन श्री हरि ने कहा कि इसकी माफी बगीचे का माली ही दे सकता है. विष्णु जी ने कहा कि लक्ष्मी जी को माली के घर दासी बनकर रहना होगा. लक्ष्मी जी ने यह सुन तुरंत ही गरीब औरत का वेस धारण किया और माली के घर चली गईं.
कभी खेत में तो कभी घर में माली ने उनसे काम कराया. लेकिन जब माली को पता चला कि वो कोई और नहीं बल्कि मां लक्ष्मी हैं तो वो रो पड़ा. उसने कहा कि जो भी उसने किया उसके लिए उसे माफ कर दें. तब लक्ष्मी जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि जो भी हुआ वो नियति थी. इसमें किसी का कोई दोष नहीं है. लेकिन माली ने जिस तरह से लक्ष्मी जी को अपने घर का सदस्य समझा उन्होंने उसकी झोली आजीवन सुख-समृद्धि से भर दी. उन्होंने कहा कि अब जीवन में उसके परिवार को किसी भी तरह का दुख नहीं भोगना होगा. इसके बाद वो विष्णु लोक वापस चली गईं.


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