धर्म-अध्यात्म

जब लोभासुर ने भगवान विष्णु और शिव को किया युद्ध में परास्त, तब गजानन का हुआ अवतार

Kajal Dubey
28 Aug 2022 6:49 PM GMT
जब लोभासुर ने भगवान विष्णु और शिव को किया युद्ध में परास्त, तब गजानन का हुआ अवतार
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: पुराणों में मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश का गजानन नामक अवतार सांख्यब्रह्म का धारक है.
Lord Ganesha Gajanan Avatar: पुराणों में मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश का गजानन नामक अवतार सांख्यब्रह्म का धारक है. यह अवतार सांख्य योगियों के लिए सिद्धिदायक माना जाता है. गणेश जी के कई स्वरूप है, जिसमें कि यह नाम आज भी विख्यात है. गज यानि हाथी के समान विकराल काया का यह रूप है. जिनमें असंख्य बल है, जोकि असुरों का नाश करने में सक्षम है. इस अवतार में भी गजानन ने मूषक को आपना वाहन चुना है.
एक बार कुबेर जी कैलाश पहुंचे. वहां उन्होंने भगवान शिव-पार्वती का दर्शन किया. कुबेर भगवती उमा के अनुपम सौन्दर्य को मुग्ध दृष्टि से एकटक निहारने लगे. ऐसा देखकर मां पार्वती उन पर अत्यन्त क्रोधित हो गई. भगवती की कोप दृष्टि से कुबेर अत्यन्त भयभीत हो गए, लेकिन उसी समय भयभीत कुबेर से लोभासुर का जन्म हुआ. वह अत्यन्त प्रतापी तथा बलवान था.
लोभासुर दैत्यगुरु शुक्राचार्य का शिष्य बन गया. आचार्य ने उसे पञ्चाक्षरी मन्त्र (ॐ नमः शिवाय ) की दीक्षा देकर तपस्या करने के लिये वन भेज दिया. भस्म धारण कर वह भगवान शिव का ध्यान करते हुए पंचाक्षरी मन्त्र का जप करने लगा. उसकी तपस्या देखकर भगवान शिव ने वर देकर उसे तीनों लोकों में निर्भय कर दिया. भगवान शिव के अमोघ वर से उसने दैत्यों की विशाल सेना एकत्र की और उन असुरों के सहयोग से लोभासुरने ने पृथ्वी के समस्त राजाओं को जीत लिया. धीरे-धीरे कर उसने स्वर्ग पर भी आक्रमण कर दिया. इन्द्र को पराजित कर उसने अमरावती पर अधिकार कर लिया. उसके अत्याचारों को खत्म करने के लिए इन्द्र भगवान विष्णु के पास गए तथा उनसे अपनी व्यथा सुनायी . भगवान् विष्णु असुरों का संहार करने के लिये अपने गरुड़ वाहन पर चढ़कर आए और लोभासुर से संग्राम किया. भगवान शंकर के वर से अजेय विष्णु जी को पराजय का मुंह देखना पड़ा. विष्णु तथा अन्य देवताओं के रक्षक महादेव हैं. यह सोचकर लोभासुर ने अपना दूत शिव के पास भेजा. दूत ने उनसे कहा- आप परम पराक्रमी लोभासुर से युद्ध कीजिए या पराजय स्वीकार कर कैलाश को खाली कर दीजिए. भगवान शंकर ने अपने द्वारा दिए वरदान को स्मरण कर कैलाश को छोड़ दिया.
ब्राह्मण और ऋषि, मुनि यातना सहने लगे. रैभ्य मुनि के कहने पर देवताओं ने गणेश जी की उपासना की. गजाननः स विज्ञेयः सांख्येभ्यः सिद्धिदायकः. लोभासुरप्रहर्ता वै आखुगश्च प्रकीर्तितः॥ सभी अराधना सुनकर गणेश जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने लोभासुर के अत्याचार से देवताओं को मुक्ति दिलाने का वचन दिया. गजानन ने भगवान शिव को लोभासुर के समीप भेजा. शिव ने लोभासुर से साफ शब्दों में गजानन का संदेश सुनाया. तुम गजानन की शरण- लेकर अन्य जीवन शान्तिपूर्ण से बिताओ अन्यथा युद्ध के लिये तैयार हो जाओ. गुरु शुक्राचार्य ने भी भगवान गजानन की महिमा बताकर गजानन की शरण लेना कल्याणकर बताया. लोभासुर ने गणेश तत्त्व को समझ लिया और पल भर भी न गवांते हुए वह महाप्रभु के चरणों की वंदना करने लगा.
भाभार ,,जी न्यूज़
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