धर्म-अध्यात्म

कब है कन्या पूजा? जानिए शुभ मुहूर्त एवं महत्व

Triveni
22 Oct 2020 4:21 AM GMT
कब है कन्या पूजा? जानिए शुभ मुहूर्त एवं महत्व
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शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजा, कुमारिका पूजा या कंजक पूजा का महत्व काफी बड़ा है। नवरात्रि स्वयं मां आदिशक्ति की उपासना का पर्व है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजा, कुमारिका पूजा या कंजक पूजा का महत्व काफी बड़ा है। नवरात्रि स्वयं मां आदिशक्ति की उपासना का पर्व है और कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। नवरात्रि के समय में 02 से 10 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा की जाती है। वैसे तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन के लिए कन्या पूजा का विधान है, लेकिन आमतौर पर दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजा की जाती है।

कन्या पूजा का मुहूर्त

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजा 24 अक्टूबर दिन शनिवार को की जाएगी। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 23 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है, जो 24 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से महानवमी प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में कन्या पूजा 24 अक्टूबर को करना चाहिए।

कन्या पूजा का नियम

कन्या पूजा में आपको 02 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना चाहिए। जब आप कन्या पूजा करने जाएं तो 02 से 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें तथा उनके साथ एक छोटा बालक भी होना चाहिए। 9 कन्याएं 9 देवियों का स्वरुप मानी जाती हैं और छोटा बालक बटुक भैरव का स्वरुप होते हैं। कन्याओं को घर आमंत्रित करके उनके पैर पानी से धोते हैं, फिर उनको चंदन लगाते हैं, फूल, अक्षत् अर्पित करने के बाद भोजन परोसते हैं। फिर उनके चरण स्पर्श करके आशीष लेते हैं और उनको दक्षिणा स्वरुप कुछ उपहार भी देते हैं।

हर कन्या का अलग रुप

नवरात्रि में सभी उम्र वर्ग की कन्याएं मां दुर्गा के विभिन्न रुपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा, 9 वर्ष की कन्या दुर्गा, 8 वर्ष की शाम्भवी, 7 वर्ष की चंडिका, 6 वर्ष की कालिका, 5 वर्ष की रोहिणी, 4 वर्ष की कल्याणी, 3 वर्ष की त्रिमूर्ति और 2 वर्ष की कन्या को कुंआरी माना जाता है।


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