- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- कब है मार्गशीर्ष शुक्ल...
धर्म-अध्यात्म
कब है मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी.....जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त
Bhumika Sahu
5 Dec 2021 5:18 AM GMT
x
Vinayak Chaturthi 2021: हिंदू धर्म में भगवान गणेश को सबसे पूजनीय माना गया है. विघ्नविनाशक के बिना कोई भी कार्य संपन्न नहीं होता है. आइए जानते हैं प्रभु की कैसे करें पूजा...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य और शुभ कार्य भगवान गणेश की पूजा के बिना संपन्न नहीं होता है. यही कारण है कि गणपति (Lord Ganesh Pujan) की पूजा अर्चना के साथ ही घर के शुभ कार्य की शुरुआत होती है. विघ्नहर्ता गणेश जी का पूजन वैसे चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2021) के नाम से जाना जाता है.
ऐसे तो आमतौर पर गणपति के भक्त उनको हर रोज मनाते हैं, लेकिन गणेश चुतर्थी को विशेष पूजा अर्चना भक्तों के द्वारा की जाती है. लेकिन मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का सबसे ज्यादा खास महत्व होता है. आपको बता दें कि ये इस बार 7 दिसंबर, दिन मंगलवार के दिन मनाया जाएगा.
इतना ही नहीं मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि होने के कारण से इसको अंगारकी चतुर्थी भी कहा जाता है.तो आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में सब कुछ.
विनायक चतुर्थी तिथि और मुहूर्त 2021 (Vinayak Chaturthi Tithi And Muhurat 2021)
मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी का भक्त व्रत रखते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन भगवान गणेश की पूजा और उपासना की जाती है. इस बार विनायक चतुर्थी 07 दिसंबर प्रातः 02 बजकर 31 मिनट पर लगेगी, जो कि उसी दिन रात को 11 बजकर 40 मिनट पर समाप्त हो जाएगी.
इतना ही नहीं मंगलवार के दिन होने के कारण ये अंगारकी विनायक चतुर्थी के संयोग का निर्माण कर रहा है. इतना ही नहीं कहा जाता है कि भगवान गणेश का पूजन दोपहर में करना शुभ होता है.
विनायक चतुर्थी पूजन विधि (Vinayak Chaturthi Pujan Vidhi
मान्यता है कि अंगार की विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश का हर किसी को विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए. ऐसा करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है. विनायक चतुर्थी के दिन सुबह गणपति को प्रसन्न करने के लिए सुबह स्नानादि से निवृत्त हो कर भगवान के आगे व्रत का संकल्प लें और फिर गणेश जी का पूजन शाम के समय पीले रंग के वस्त्र पहन कर करें.
गणपति की पूजन के दौरान पहले प्रभु को लाल सिंदूर से तिलक करें. इसके बाद धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य आदि चढ़ाएं इसके साथ ही भगवान को वस्त्र आर्पित करें, मान्यता है कि गणेश जी को पूजा में लड्डू और दूर्वा का भोग अवश्य लगाएं. इसके अलावा भगवान गणेश के मंत्रों और स्तुति का पाठ करें.
Next Story