धर्म-अध्यात्म

शिव भक्ति को समर्पित श्रावण मास कब से हो रहा आरंभ, जानिए

Tara Tandi
3 July 2023 11:44 AM GMT
शिव भक्ति को समर्पित श्रावण मास कब से हो रहा आरंभ, जानिए
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सनातन धर्म में वैसे तो हर महीने का अपना महत्व होता हैं लेकिन श्रावण मास को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि शिव भक्ति के लिए सर्वोंत्तम दिन माना जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना हैं माना जाता हैं कि इस पावन महीने में अगर शिव शंकर को एक लोटा जल भी अर्पित कर दिया जाए तो वे अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने साधकों की हर परेशानी को दूर कर देते हैं।
इस पवित्र महीने में पूजा पाठ करने से साधक को जल्दी फलों की प्राप्ति होती हैं। श्रावण मास शिव भक्ति को समर्पित माना गया हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख में श्रावण मास से जुड़ी हर एक जानकारी प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं विस्तार से...
स्वयं शिव ने बताई हैं सावन की महिमा-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना बेहद ही खास माना जाता हैं क्योंकि यही एक मात्र ऐसा महीना है जिस दौरान सबसे अधिक वर्षा होती हैं जो कि शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करता हैं। आपको बता दें कि इस पवित्र मास की महिमा स्वयं भगवान शिव ने बताई हैं। शास्त्र अनुसार शिव के तीन नेत्रों वाले हैं जिसमें दाएं में सूर्य, बायं में चंद्र और मध्य में अग्नि निवास करती है। जब सूर्य कक राशि में गोचर करता है तब श्रावण मास का आरंभ हो जाता हैं सूर्य गर्म है जो उष्मा प्रदान करता हैं जबकि चंद्रमा ठंडक प्रदान करने वाला हैं। यही कारण हैं कि सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने से खूब वर्षा होती हैं जिससे लोक कल्याण के लिए विष पीने वाले भगवान भोलेनाथ को ठंडक मिलती हैं और ये महीना प्रजनन के लिए भी अनुकूल माना जाता हैं। यही कारण हैं कि श्रावण मास शिव शम्भू का सबसे अधिक प्रिय महीना हैं।
श्रावण मास का आरंभ-
हर साल श्रावण मास का महीना आषाढ़ माह के समापन के बाद आरंभ हो जाता हैं आज यानी 3 जुलाई को आषाढ़ माह की पूर्णिमा है जिसे गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जा रहा हैं इस दिन को आषाढ़ का आखिरी महीना माना गया हैं। इसके बाद कल यानी 4 जुलाई दिन मंगलवार से पवित्र महीने सावन का आरंभ हो रहा हैं जिसका समापन इस बार 31 अगस्त को होगा। इस बार का श्रावण मास बेहद ही खास माना जा रहा हैं क्योंकि इस साल पड़ने वाला सावन पूरे दो महीने का होगा। क्योंकि इस बार अधिकमास लग रहा है ंऐसे में भक्तों शिव पूजा के लिए अधिक समय मिलेगा।
सावन का महत्व-
शास्त्रों की मानें तो श्रावण मास ईश्वर भक्ति करने और उनसे जुड़ने का महीना होता हैं इस दौरान भक्ति भजन करने से साधक को शीघ्र ही इसका फल प्राप्त होता हैं। कहते हैं कि श्रावण मास के दिनों में भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में धरती पर ही वास करते हैं ऐसे में जो भी इस महीने शिव भक्ति करता है या फिर उसमें लीन रहता हैं तो उसकी हर मनोकामना प्रभु पूर्ण कर देते हैं। इस महीने शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती हैं इस दौरान कावड़ यात्रा का भी आरंभ हो जाता हैं। सावन में महिलाएं सुख सौभाग्य और अपने परिवार की अच्छी सेहत के लिए शिव के निमित्त व्रत पूजन भी करती हैं इस माह पड़ने वाले सावन में उपवास रखकर पूजा पाठ करने से शिव कृपा बरसती हैं।
श्रावण सोमवार-
हिंदू धर्म में सोवार का दिन शिव भक्ति का दिन माना जाता हैं और श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार का अपना अलग ही महत्व होता हैं। इस महीने पड़ने वाले सोमवार को बेहद ही पवित्र और पूजनीय माना जाता हैं। इस दिन कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना हेतु उपवास रखकर शिव का अभिषेक व पूजन करती हैं तो वही शादीशुदा महिलाएं सुख सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए शिव भक्ति में लीन रहती हैं इस बार अधिक मास पड़ने के कारण श्रावण मास में कुल आठ सोमवार पड़ रहे हैं।
सावन सोमवार की तिथियां-
आपको बता दें कि इस बार अधिकमास पड़ने के कारण सावन दो महीनों का हैं ऐसे में श्रावण मास में कुल आठ सोमवार पड़ रहे हैं जो शिव पूजा के लिए बेहद खास माने जाते हैं। सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई, दूसरा सोमवार 17 जुलाई, तीसरा सोमवार 24 जुलाई, चैथा सोमवार 31 जुलाई, पांचवा सोमवार 7 अगस्त, छठा सोमवार 14 अगस्त, सातवां सोमवार 21 अगस्त को किया जाएगा। इसके अलावा सावन का आखिरी सोमवार यानी की आठवां सोमवार 28 अगस्त को पड़ रहा हैं।
शिव पूजन की विधि-
श्रावण मास के दिनों में सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्रों को धारण कर शिव मंदिर जाए। वहां शिवलिंग पर सबसे पहले जल अर्पित करें इसके बाद भांग मिला कच्चा दूध चढ़ाएं। फिर गन्ने के रस से अभिषेक करें। साथ ही शिव मंत्र ॐ शिवाय नम: का जाप करें। आप इस मंत्र का जाप 11, 21 या फिर 51 बार कर सकते हैं। इसके बाद शिवलिंग पर फिर से जल अर्पित करें और पुष्प, अक्षत, धतूरा, आंकड़े के पुष्प और बेल पत्र अर्पित करें साथ ही धूप दीपक जलाएं। अंत में शिव की आरती करें और उनका प्रिय भोग लगाएं। भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा मांगे और अपनी प्रार्थना कहें।
शिव पूजा मंत्र-
श्रावण मास में व्रत पूजन करने वाले भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय मंत्रों का जाप जरूर करें।
ॐ शिवाय नम:
ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ त्रिनेत्राय नम:
ॐ हराय नम:
ॐ श्रीकंठाय नम:
ॐ वामदेवाय नम:
ॐ तत्पुरुषाय नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ अनंतधर्माय नम:
ॐ ज्ञानभूताय नम:
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
ॐ प्रधानाय नम:
ॐ व्योमात्मने नम:
ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:ॐ इन्द्रमुखाय नम:
भगवान शिव का गायत्री मंत्र ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
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