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होलिका दहन से पहले होलिका की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है
सनातन धर्म में होली के पर्व को सबसे बड़ा माना गया है. यह हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है. फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष होलिका दहन की डेट को लेकर लोगों के मन में अधिक कंफ्यूजन है. तो चलिए हम आपकी इस कंफ्यूजन को दूर करते हैं और बताते हैं किस तारीख को है होलिका दहन.
होलिका दहन 2023 की डेट (Holika Dahan Date)
हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 मार्च को शाम 4 बजकर 18 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 7 मार्च को शाम 6 बजकर 10 मिनट पर होगा. उदयातिथि के मुताबिक, होलिका दहन का त्योहार 7 मार्च को मनाया जाएगा.
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, होलिका दहन का मुहूर्त 7 मार्च शाम 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक है. होलिका दहन के लिए समय 2 घंटे 27 मिनट है.
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन से पहले होलिका की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन होलिका के पास उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाना चाहिए. इसके बाद ‘ओम प्रह्लादाय नम:’ भक्त प्रह्लाद के लिए, ‘ओम होलिकायै नम:’ होलिका के लिए और ओम नृसिंहाय नम: भगवान नृसिंह के लिए जाप करें. होलिका दहन के समय आग में गेंहू की बालियों को सेंका जाता है. इसके बाद उनको लोगों में बांटकर खा लें.
इसके बाद बड़गुल्ले की 4 मालाएं ली जाती हैं और इन्हें हनुमान जी, पितृ और शीतला माता और परिवार के लिए चढ़ाई जाती हैं. फिर होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा की जाती है. इस दौरान कच्चा सूत होलिका के चारों ओर लपेटा जाता है. फिर लोटे का जल और पूजा की सामग्री होलिका में अर्पित करनी चाहिए. पुष्प, गंध और धूप आदि चीजों से होलिका की पूजा-अर्चना करें. फिर अपनी मनोकामनाएं कहें और गलतियों की क्षमा मांगे
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Apurva Srivastav
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