धर्म-अध्यात्म

माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत कब? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन की विधि

Tulsi Rao
7 Feb 2022 6:30 PM GMT
माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत कब? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन की विधि
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जब व्रत और पूजा-पाठ से उनकी कृपा पायी जा सकती है. इन्हीं में से एक है भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत. हर माह के दोनों पक्षों में प्रदोष व्रत रखे जाते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Pradosh Vrat 2022: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा-उपासना (Lord Shiva Puja) का विशेष महत्व है. कहते हैं कि भगवान शिव बहुत ही कृपालु और दायलु भगवान है. ये मात्र एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं. वैसे तो भगवान शिव (Lord Shiva) को हर दिन जल अर्पित कर ही प्रसन्न किया जा सकता है. शिव भक्तों (Shiv Devotee) को भगवान शिव की कृपा पाने के लिए माह में कई तिथि है, जब व्रत और पूजा-पाठ से उनकी कृपा पायी जा सकती है. इन्हीं में से एक है भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत. हर माह के दोनों पक्षों में प्रदोष व्रत रखे जाते हैं.

माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा (Pradosh Vrat 2022) जाएगा. इस बार 14 फरवरी, सोमवार के दिन सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat 2022) रखा जाएगा. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. मान्यता है कि सोम प्रदोष के दिन व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. और व्रत का दोगुना फल मिलता है. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Tithi And Shubh Muhurat 2022)
माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 14 फरवरी को पड़ रही है. पंचाग के अनुसार त्रयोदशी तिथि 13 फरवरी शाम 6:42 मिनट से शुरू होगी. और 14 फरवरी रात 8:28 मिनट पर समापन होगा.
वहीं, ज्योतिष अनुसार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) की पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में करना उत्तम माना जाता है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम में 6:10 मिनट से शुरू होकर रात्रि में 8:28 मिनट तक है.इस प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है.
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि (Som Pradoshg Vrta Pujan Vidhi)
प्रदोष व्रत रखते समय व्रत के नियमों (Pradosh Vrat Rules) का पालन करना जरूरी है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है. लेकिन द्वादशी तिथि से ही इसके नियम शुरू हो जाते हैं. इस दिन भूलकर भी तामसिक भोजन ग्रहण करें. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव जी प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें. व्रत के दिन गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें और अंजलि में गंगाजल रख आमचन करें. और खुद को पवित्र करें. इसके बाद सफेद और साफ रख के वस्त्र धारण करें.
भगवान सूर्य देव (Lord Surya Dev) को जल अर्पित करें. और भगवान को फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत आदि अर्पित करें. इस दिन शिव चालीसा पाठ (Shiv Chalisa Path), शिव मंत्र (Shiv Mantra Jaap) का जाप भी जरूर करें. आखिर में आरती. भगवान शिव के लिए दिनभर उपवास रखें. शाम के समय पूजा के बाद फिर फलाहार करें और अगले दिन व्रत का पारण करें.


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