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हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन शिव पूजा को समर्पित प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता हैं।
मान्यता है कि इस दिन शिव पूजा उत्तम फल प्रदान करती हैं। अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह का प्रदोष व्रत 15 जून दिन गुरुवार को किया जाएगा। गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा हैं प्रदोष व्रत पर शिव पूजा प्रदोष काल में करना उत्तम माना जाता हैं इस दिन शिव संग माता पार्वती की आराधना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं और शिव पार्वती का आशीर्वाद मिलता हैं तो आज हम आपको पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त—
पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 15 जून की शाम 7 बजकर 20 मिनट से रात्रि 9 बजकर 21 मिनट तक हैं ऐसे में पूजा के लिए आपको करीब दो घंटे का वक्त मिल रहा हैं आपको बता दें कि भगवान शिव की पूजा इस मुहूर्त में करना श्रेयस्कर माना जाता हैं।
पूजन की संपूर्ण विधि—
शिव को समर्पित प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धान कर शिव का ध्यान करते हुए व्रत पूजन का संकल्प करें। फिर शाम के वक्त शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में जाकर या घर में ही शिव की विधिवत पूजा करें पूजन के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान करें। फिर सफेद चंदन का लेप करें। भगवान को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद पुष्प, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें।
साथ ही ''ओम नमः शिवाय''साथ ही इस मंत्र का जाप करें फिर शिव चालीसा और गुरु प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें इसके बाद घी का दीपक जलाकर शिव की आरती पढ़ें। अंत में पूजा में होने वाली भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा मांगे और भगवान से अपनी मनोकामना कहें। इसके अगले दिन सुबह स्नान के बाद शिव की पूजा करें और सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें मान्यता है कि इस विधि से व्रत पूजन करने से साधक की हर इच्छा पूरी हो जाती हैं।
Tara Tandi
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