धर्म-अध्यात्म

सावन का पहला प्रदोष कब है व्रत इस साल पड़ेगी 4 श्रावण त्रयोदशी, जानें शिव पूजा मुहूर्त और रुद्राभिषेक समय

Neha Dani
8 July 2023 7:59 AM GMT
सावन का पहला प्रदोष कब है  व्रत इस साल पड़ेगी 4 श्रावण त्रयोदशी, जानें शिव पूजा मुहूर्त और रुद्राभिषेक समय
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श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सावन का पहला प्रदोष व्रत है. इस साल अधिकमास होने के कारण सावन में 4 त्रयोदशी तिथि पड़ेगी यानि 4 प्रदोष व्रत आएंगे. पहला शुक्र प्रदोष व्रत है क्योंकि यह शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन व्रत रखते हैं और शाम के समय में शिवजी की पूजा करते हैं. इस व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही की जाती है. शुक्र प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक कर सकते हैं. उस दिन शिववास है. काशी के ज्योतिषाचार्य च​क्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि सावन का पहला प्रदोष व्रत कब है? शुक्र प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? प्रदोष व्रत का महत्व क्या हैदृक पंचांग के अनुसार , सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई शुक्रवार को शाम 07 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ हो रही है. यह तिथि 15 जुलाई शनिवार को रात 08 बजकर 32 मिनट तक मान्य है. सावन का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई शुक्रवार को रखा जाएगा.
14 जुलाई को सावन के पहले प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे से अधिक का है. प्रदोष के दिन शिव पूजा का समय शाम 07 बजकर 21 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 24 मिनट तक है. इस मुहूर्त में आप कभी भी शिव पूजा कर सकते हैं.सावन का पहला प्रदोष व्रत वृद्धि योग और रोहिणी नक्षत्र में है. 14 जुलाई को वृद्धि योग सुबह 08 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ हो रहा है, जो पूरी रात है. वृद्धि योग में आप जो कार्य करते हैं, उसके शुभ फल में वृद्धि होती है. उस दिन रोहिणी नक्षत्र प्रात:काल से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक है. प्रदोष व्रत के दिन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है.सावन के पहले प्रदोष व्रत वाले दिन रुद्राभिषेक का संयोग बना है. उस दिन शिववास नन्दी पर है. यह प्रात:काल से लेकर शाम 07 बजकर 17 मिनट तक है. इस दिन आप सुबह से लेकर शाम के बीच रुद्राभिषेक कर सकते हैं. बिना शिववास के रुद्राभिषेक नहीं होता है.प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा का उत्तम दिन है. व्रत रखकर प्रदोष काल में शिव पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. इस व्रत को करने से सभी प्रकार के दोषों का अंत होता है. जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है.


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