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ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन इन सभी में एकादशी की तिथि को श्रेष्ठ माना गया है जो कि भगवान श्री हरि विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक है और यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इस दिन भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और श्री नारायण की विधि विधान से पूजा करते हैं।
एकादशी का व्रत हर माह में दो बार आता है ऐसे साल में कुल 24 एकादशी व्रत किए जाते हैं। पंचांग के अनुसार अभी मार्गशीर्ष मास चल रहा है और इस माह की पहली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि इस बार 8 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा उत्पन्ना एकादशी की व्रत पूजा विधि से आपको अवगत करा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
उत्पन्ना एकादशी व्रत पूजा विधि—
आपको बता दें कि एकादशी का व्रत रखने वाले जातकों को एक दिन पूर्व यानी की दशमी तिथि की रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर व्रत का संकल्प करें। अब पूजन स्थल की साफ सफाई करके भगवान विष्णु की पूजा करें और प्रभु को पुष्प्, जल, धूप, दीपक, अक्षत अर्पित करें इस दिन केवल फलों का ही भगवान को भोग अर्पित करें।
साथ ही तुलसी भी चढ़ाएं। इसके बाद दिनभर का उपवास रखें और दोपहर व रात्रि में भगवान विष्णु का सुमिरन करें। रात्रि में पूजन के बाद जागरण जरूर करें। वही अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर अपने व्रत का पारण करें। अगर हो सके तो गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, धन व वस्त्रों का दान दें। ऐसा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
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