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धर्म-अध्यात्म
कब है लोहड़ी का पर्व, जानें इसका महत्व और पैराणिक कथा
Bhumika Sahu
12 Jan 2022 2:34 AM GMT
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Lohari 2022 In Hindi: लोहड़ी की संध्या पर सभी एक साथ त्योहार को मनाते हैं. इस दौरान सभी जमकर लोहड़ी के गीत भी गाते हैं और खुशियों को मनाते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लोहड़ी (lohari 2022) का त्योहार हर साल देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार का लोगों के बीच हमेशा से ही एक खास क्रेज होता है.नाच गाने से सजा ये त्योहार खुशियों से भरा होता है. यह त्योहार किसी उत्सव की तरह से मनाया जाता है. लोहड़ी के त्योहार में आग का अलाव जलाने का खास महत्व होता है इसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी, मूंगफली को हर कोई चढ़ाता है. लोहड़ी त्योहार के महत्व और किंवदंतियां कई हैं और ये त्योहार को पंजाब क्षेत्र (Punjab Festival) खास रूप से मनाया जाता है. साल 2022 में लोहड़ी पर्व (Lohari festival) 13 जनवरी को मनाया जाएगा.
लोहड़ी को सर्दियों के अंत का प्रतीक माना जाता है
मान्यता के अनुसार लोहड़ी का त्योहार शीतकालीन संक्रांति के गुजरने का प्रतीक है. यही कारण है इस खास पर्व को सर्दियों के अंत का प्रतीक भी माना जाता है. लोहड़ी का ये पर्व मकर संक्रांति से ठीक एक रात पहले धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे माघी के नाम से भी जानते हैं. दरअसल चंद्र सौर विक्रमी कैलेंडर के सौर भाग के अनुसार और आमतौर पर लोहड़ी के पर्व को हमेशा ही 13 जनवरी को घरों में मनाया जाता है.
जानिए क्या है लोहड़ी की कहानी
आपको बता दें कि लोहड़ी के त्योहार पर दुल्ला भट्टी की कहानी को खास रूप से सुना जाता है. दुल्ला भट्टी मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के वक्त पर पंजाब में रहता था. मध्य पूर्व के गुलाम बाजार में हिंदू लड़कियों को जबरन बेचने के लिए ले जाने से बचाने के लिए उन्हें आज भी पंजाब में एक नायक के रूप में माना और याद किया जाता है. कहानी में बताया गया है कि उन्होंने जिनको बचाया था उनमें दो लड़कियां सुंदरी और मुंदरी थीं, जो बाद में धीरे-धीरे पंजाब की लोककथाओं का विषय बन गईं थीं.
लोहड़ी के गीत का है खास महत्व
लोहड़ी का त्योहार बिना गीत के अधूरा माना जाता है. बच्चे हों या फिर बड़े सभी लोहड़ी त्योहार पर पारंपरिक लोक गीतों को आग के आस पास घूम-घूम कर और घर-घर घूमकर गाते हैं, इन गीतों में "दुल्ला भट्टी" का नाम भी शामिल होता है. घरों में लोहड़ी को मांगने की रिवाज होती है. कहा जाता है कि बिना लोहड़ी के पारंपरिक गीतों के त्योहार अधूरा रहता है.
ये हैं लोहड़ी के फेमस पारंपरिक गीत
सुंदर मुंदरिये ! …………हो तेरा कौन बेचारा, …………हो दुल्ला भट्टी वाला, ………हो दुल्ले घी व्याही, …………हो सेर शक्कर आई, ……………हो कुड़ी दे बाझे पाई, …………हो कुड़ी दा लाल पटारा, ………हो
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