धर्म-अध्यात्म

कब है करवा चौथ का त्योहार, जानिए

Rani Sahu
11 Oct 2023 12:18 PM GMT
कब है करवा चौथ का त्योहार, जानिए
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Karva Chauth: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन पूरे दिन उपवास करने का विधान है जिसे करवा चौथ व्रत या करवा चौथ व्रत के नाम से जाना जाता है।
इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के जीवन की सुरक्षा और दीर्घायु सुनिश्चित करने के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक कठोर उपवास रखती हैं। शाम को चंद्रमा उदय होने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं। इस व्रत से जुड़ी और भी कईं मान्यताएं और परंपराएं हैं,जो इसे खास बनाती हैं। करवा चौथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान आदि राज्यों में मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस बार ये व्रत कब किया जाएगा और करवा चौथ पर कब निकलेगा चन्द्रमा।
कब मनाया जाएगा करवा चौथ?
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर, मंगलवार, रात्रि 09:30 मिनट से
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त:1 नवंबर, बुधवार, रात्रि 09:19 मिनट पर
चतुर्थी तिथि का सूर्योदय व चंद्रोदय दोनों ही 1 नवंबर को होगा,इसलिए इसी दिन करवा चौथ का व्रत किया जाएगा।
चंद्रोदय का समय
पंचांग के अनुसार, इस बार करवा चौथ पर यानी 1 नवंबर, बुधवार को है। तो इस हिसाब से चन्द्रोदय का समय रात्रि 08:15 रहेगा। ऐसे में अलग-अलग स्थानों पर चंद्रोदय के समय में 5 से 7 मिनिट का अंतर आ सकता है।
करवा चौथ पर चंद्रमा पूजन से जुड़ी ज्योतिष और पौराणिक मान्यता
करवा चौथ से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराए हैं जो इस पर्व को और भी खास बनाती है। परंपरा के अनुसार इस दिन चंद्रमा की पूजा के बाद ही महिलाओं का व्रत पूर्ण होता है। इस परंपरा के पीछे ज्योतिष एवं धार्मिक कारण जुड़ा हुआ है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चंद्रमा मन का कारक है। करवा चौथ पर चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में और सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होता है। इस स्थिति में की गई चंद्रमा की पूजा वैवाहिक जीवन को और अधिक सुखमय बनाती है। इसलिए करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा करने की परंपरा है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार चंद्रमा की पूजा को लेकर रामायण की एक कथा प्रचलित हैं। एक बार श्रीराम ने पूर्व दिशा की ओर चमकते हुए चंद्रमा को देखकर पूछा कि चंद्रमा में कालापन क्यों है। इस पर लोगों ने अलग-अलग तर्क दिए। तब भगवान राम ने कहा कि चंद्रमा में कालापन उसके विष के कारण है और इससे वह अलग रह रहे पति-पत्नी को जलाता रहता है। इसलिए सुहागिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा करके प्रार्थना करती हैं कि उन्हें अपने पति से कभी दूर न रहना पड़े और वे खुशहाल वैवाहिक जीवन व्यतीत कर पाएं।
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