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धर्म-अध्यात्म
कब है सावन मास की शिवरात्रि, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Rani Sahu
5 Aug 2021 12:36 PM GMT
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सावन का पवित्र महीना चल रहा है. ये महीना भगवान शिव की आराधना करने का है
सावन का पवित्र महीना चल रहा है. ये महीना भगवान शिव की आराधना करने का है. उन्हें ध्यान करने का है. वो सर्वस्व प्राणियों के तारणहार हैं. उनकी पूजा करने मात्र से जीवन की समस्त कठिनाइयों का समापन हो जाता है.
सावन शिवरात्रि 2021 सावन के महीने में सबसे शुभ दिनों में से एक होती है. इस दिन, भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं. ये विशेष दिन हर महीने कृष्ण पक्ष के दौरान चतुर्दशी तिथि या श्रावण महीने के अंधेरे पखवाड़े के 14वें दिन पड़ता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार, फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि में अभिषेक करने का विशेष महत्व है.
इस महीने, सावन शिवरात्रि या मासिक शिवरात्रि हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार 6 अगस्त, 2021, शुक्रवार को पड़ रही है. इस शुभ शिवरात्रि के बारे में तिथि, समय और अन्य महत्वपूर्ण विवरण देखें-
सावन शिवरात्रि 2021 की तिथि और समय
दिनांक : शुक्रवार, 6 अगस्त, 2021
निशिता काल पूजा का समय – 12:06 मध्य रात्रि से 12:48 मध्य रात्रि, 07 अगस्त
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय – 07:08 सायं से 09:48 रात्रि
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का समय – 09:48 रात्रि से 12:27 मध्य रात्रि, 07 अगस्त
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा का समय – 12:27 मध्य रात्रि से 03:06 प्रात:, 07 अगस्त
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय – 03:06 प्रात: से 05:46 प्रात:, 07 अगस्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 06:28 सायं 06 अगस्त, 2021
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 07:11 सायं 07 अगस्त, 2021
शिवरात्रि पारण समय – 05:46 प्रात: से 03:47 दोपहर, 07 अगस्त, 2021
सावन शिवरात्रि 2021 का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने वाले भक्तों को सुख, शांति और समृद्ध जीवन प्रदान किया जाता है. साथ ही भूत और वर्तमान के पापों से भी मुक्ति मिलती है. इस दिन उपवास करने से व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्
सावन शिवरात्रि 2021 की पूजा विधि
सावन शिवरात्रि पूजा आधी रात को की जाती है, जिसे निशिता काल के नाम से जाना जाता है. इसलिए पूजा शुरू करने से पहले स्नान कर साफ कपड़े पहन लें.
– शिव मंदिर जाएं और शिव लिंग पर गंगा जल, दूध, घी, शहद, दही, सिंदूर, चीनी, गुलाब जल आदि पवित्र जल चढ़ाकर अभिषेक करें. अभिषेक करते समय 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करते रहें.
– चंदन से तिलक करें और धतूरा, बेल पत्र और अगरबत्ती चढ़ाएं.
– महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा और ॐ नमः शिवाय का 108 बार जाप करें.
– भगवान शिव और देवी गौरी की आरती कर पूजा का समापन करें.
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