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- कब है शनि प्रदोष व्रत

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हिंदू धर्म में शिव आराधना को वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार समर्पित हैं लेकिन प्रदोष व्रत का अपना अलग महत्व होता हैं जो कि हर माह में दो बार पड़ता है एक शुक्ल पक्ष तो दूसरा कृष्ण पक्ष। इस दौरान भगवान शिव शंकर की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता हैं कि प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा अगर प्रदोष काल में की जाए तो साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाला प्रदोष व्रत 1 जुलाई दिन शनिवार को किया जाएगा।
शनिवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा हैं मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत पर अगर भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा भक्तों पर करते हैं साथ ही साधक को शनि दोष से भी मुक्ति मिल जाती हैं तो आज हम आपको शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
आषाढ़ शनि प्रदोष की तिथि और मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुकल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 1 जुलाई दिन शनिवार को रात 1 बजकर 16 मिनट पर हो रहा हैं और समापन 2 जुलाई की रात 11 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में शनि प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। वही उन्नति मुहूर्त शाम को 7 बजकर 23 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
आपको बता दें कि शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा के लिए शाम का वक्त शुभ होता हैं ऐसे में इस वक्त स्नान आदि करके भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। भगवान शिव को पूजन की सभी सामग्री अर्पित कर शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग आदि अर्पित करें फिर विधिपूर्वक पूजन करें और भगवान की आरती पढ़ें।
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