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सनातन धर्म में साल के 15 दिन पूर्वजों को समर्पित होते हैं इस दौरान लोग अपने मृत परिजनों को याद कर उनका श्रद्धा भाव से श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वैसे तो हर माह में अमावस्या तिथि पड़ती है लेकिन पितृ पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को बेहद ही खास माना गया है जो कि सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जानी जाती है।
ये दिन श्राद्ध की सबसे अहम और आखिरी तिथि होती है इस दिन सभी लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं। सर्व पितृ अमावस्या पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन अमावस्या या फिर जिनकी मृत्यु तिथि याद नहीं होती है।
अगर कोई पितृपक्ष के दिनों में पूर्वजों का श्राद्ध कर पाया है तो ऐसे में वह पितृदोष से बचने के लिए सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध, तर्पण कर सकता है माना जाता है कि ऐसा करने से पितृदोष दूर हो जाता है और पूर्वज प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा सर्व पितृ अमावस्या की तिथि और मुहूर्त की जानकारी से अवगत करा रहे हैं।
सर्व पितृ अमावस्या की तारीख—
इस साल सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर दिन शनिवार को पड़ रहा है जो कि पितृपक्ष का आखिरी दिन माना जाता है। इस दिन मृत परिजनों का श्राद्ध और तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सर्व पितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त—
धार्मिक पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर को 9 बजकर 51 मिनट से हो जाएगा। वही सर्व पितृ अमावस्या तिथि का समापन 14 अक्टूबर को शनिवार की रात 11 बजकर 25 मिनट पर होगा। ऐसे में अमावस्या तिथि 14 अक्टूबर को ही पड़ रही है।
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