धर्म-अध्यात्म

कब है सर्वपितृ अमावस्या, क्या है श्राद्ध करने का महत्व

Tara Tandi
25 Sep 2021 2:54 AM GMT
कब है सर्वपितृ अमावस्या, क्या है श्राद्ध करने का महत्व
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पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितर पक्ष के नाम से जाना जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितर पक्ष के नाम से जाना जाता है। पितर पक्ष का समापन अश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है। इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या या महालय अमावस्या भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन पितरों के श्राद्ध का अंतिम दिन होता है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का विधान है। जिन्हें अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि को ज्ञान न हो वो भी इस दिन अपने पूर्वजों का तर्पण या श्राद्ध कर सकते हैं। इस साल सर्व पितृ अमावस्या 06 अक्टूबर, दिन बुधवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या की सही तिथि और इस दिन के श्राद्ध का महात्म...

सर्वपितृ अमावस्या की तिथि

अश्विन मास की अमावस्या तिथि पर सर्व पितृ अमावस्या तिथि के श्राद्ध का विधान है। पंचांग के अनुसार अमावस्या कि तिथि 05 अक्टूबर को सांय काल 07 बजकर 04 मिनट से शुरू हो कर 06 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। अमावस्या तिथि का सूर्योदय 06 अक्टूबर को होने के कारण सर्व पितृ अमावस्या 06 तारीख को ही मानी जाएगी। ये पितर पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसके बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र का प्रारंभ हो जाएगा।

सर्व पितृ अमावस्या के श्राद्ध का महात्म

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार हमारे मृत पूर्वज और परिजन पितरों के रूप में पितर पक्ष में धरती पर आते हैं। इस काल में उनके निमित्त श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है। पितर पक्ष की प्रत्येक तिथि पर विधि अनुरूप श्राद्ध किया जाता है। लेकिन सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध का विशेष महत्व है। इस दिन ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों के निमित्त श्राद्घ करने का विधान है। जो लोग पितर पक्ष में अपने परिजन की तिथि पर श्राद्ध करना भूल गए हो वो भी अमावस्या तिथि पर पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन सही विधि से किए गए श्राद्ध से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और वो अपने परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

डिसक्लेमर

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