धर्म-अध्यात्म

कब है रमा एकादशी? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, पारण समय व पूजन विधि

Rani Sahu
16 Oct 2022 3:54 PM GMT
कब है रमा एकादशी? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, पारण समय व पूजन विधि
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कार्तिक का महीना चल रहा है और बता दें कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। यह महीना और एकादशी तिथि दोनों ही भगवान विष्णु को अति प्रिय है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस माह की रमा एकादशी का व्रत रखकर श्री हरि की पूजा अर्चना करता है उस पर महालक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है और मोक्ष के साथ साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जी हां, इतना ही नहीं इस दिन विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करना भी बहुत शुभ और मंगलकारी होता है। तो ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कार्तिक माह की रमा एकादशी कब है साथ ही इसके शुभ मुहूर्त, व्रत पारण का समय व पूजन विधि के बारे में भी पूरी जानकारी देंगे।
पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 04 पर होगा और इसका समापन 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से रमा एकादशी का व्रत 21 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा और व्रत का पारण अगले दिन 22 अक्टूबर, दिन शनिवार को किया जाएगा। बताते चलें कि व्रत पारण का समय सुबह 06 बजकर 29 मिनट से 08 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इसी के साथ रमा एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
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रमा एकादशी की पूजन विधि-
एकादशी के दिन सुबह प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें और विधि पूर्वक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। फिर उन्हें पूजा के समय तुलसी दल और फल का भोग लगाएं। भगवान को रोली व अक्षत का तिलक लगाएं। बता दें कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी के भी मंत्रों का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके बाद रात में भगवान का स्मरण और भजन करें। वहीं फिर एकादशी के अगले दिन द्वादशी पर एकादशी व्रत का पारण कर जरूरतमंदों को फल, चावल आदि चीजों का दान करें। ध्यान रखें एकादशी के दिन भूलकर भी चावल का सेवन न करें।
रमा एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती हैं और मृत्यु उपरांत विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि रमा एकादशी पर संध्या के समय दीपदान करने से देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं। इससे सुख-समृद्धि, धन में वृद्धि होती है और समस्त बिगड़े काम बन जाते हैं।
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