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जनता से रिश्ता वेबडेस्क|हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है. 28 अक्तूबर, बुधवार को शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाएगा. बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत जब शनिवार को पड़ता है तब इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं.
हिंदू पंचांग के मुताबिक़, हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत पड़ता है. आज 2 जुलाई को प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस व्रत के दौरान मां पार्वती की भी अराधना की जाती है. मान्यताओं के मुताबिक, जो जातक प्रदोष व्रत रखता है भगवान शिव उसकी सभी प्रकार की परेशानियों का हरण कर लेते हैं.आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि
प्रदोष व्रत मुहूर्त
आश्विन, शुक्ल त्रयोदशी
प्रारम्भ – 12:56, अक्टूबर 26
समाप्त -15:15, अक्टूबर २७
प्रदोष व्रत पूजा विधि-
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें. पंचामृत का पूजा में प्रयोग करें. धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.