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धर्म-अध्यात्म
कब है प्रदोष व्रत, जानें इसका शुभ मुहूर्त और महत्व
Ritisha Jaiswal
20 March 2021 8:06 AM GMT

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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मीहने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मीहने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। यह दिन भोलेनाथ को समर्पित होता है। एक महीने में दो बार त्रयोदशी आती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। यह मार्च का महीना चल रहा है। इस दौरान दूसरा प्रदोष व्रत आने ही वाला है। इस महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 26 मार्च को किया जाएगा। यह शुक्रवार का दिन है। प्रदोष व्रत का नाम उस दिन पड़ रहे दिन के अनुसार होता है। 26 मार्च शुक्रवार को है ऐसे में इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ शिवजी की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और महत्व।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
फाल्गुन मास, शुक्ल पक्ष, त्रयोदशी तिथि
26 मार्च शुक्रवार
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 26 मार्च, शुक्रवार को सुबह 08 बजकर 21 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 27 मार्च, शनिवार को सुबह 06 बजकर 11 मिनट से
प्रदोष व्रत का महत्व:
इस व्रत के नाम से ही पता चलता है कि प्रदोष का अर्थ सभी दोषों से रहति होता है। प्रदोष व्रत केवल भगवान शिव को ही नहीं बल्कि चंद्र देव से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि सबसे पहले चंद्रदेव ने ही प्रदोष व्रत किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रजापति दक्ष ने चंद्रदेव को क्षय रोग का श्राप दिया था। वह इस रोग से ग्रस्त हो गए थे और इससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने हर महीने त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत किया था। इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे औऱ चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्त किया था।

Ritisha Jaiswal
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