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सनातन धर्म में पितरों को समर्पित पितृपक्ष के दिनों को बेहद ही खास माना जाता हैं जिसके देवता पूर्वजों को माना गया हैं पितृपक्ष पूरे 15 दिनों का होता हैं इस दौरान पितृगण धरती पर विचरण करने के लिए आते हैं। पितृपक्ष के 15 दिनों में लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं।
माना जाता हैं कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती हैं जिससे वे प्रसन्न होकर वंश वृद्धि, सुख समृद्धि और तरक्की का आशीर्वाद अपने वंशजों को प्रदान करते हैं। इसके साथ ही अगर पितृपक्ष में श्राद्ध तर्पण किया जाता हैं तो पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। पंचांग के अनुसार पितृपक्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो जाता हैं और अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर समाप्त होता हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा बता रहे हैं कि इस वर्ष पितृपक्ष कब से आरंभ हो रहा हैं तो आइए जानते हैं।
पितृपक्ष का आरंभ-
आपको बता दें कि इस साल पितृपक्ष की आरंभ 27 सितंबर से हो रहा है और 14 अक्टूबर को यह समाप्त हो जाएगा। जिस तिथि पर पितरों की मृत्यु होती हैं पितृपक्ष में उसी दिन तारीख पर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना जरूरी माना जाता हैं मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती हैं साथ ही मनुष्य जीवन में सुख शांति आती हैं।कहा जाता हैं कि अगर किसी के पितृ उससे प्रसन्न हो जाते हैं तो उसके जीवन में सुख समृद्धि, हमेशा बनी रहती हैं साथ ही पूर्वज वंश वृद्धि और सफलता का आशीर्वाद भी देते हैं। लेकिन अगर पूर्वज अप्रसन्न होते हैं तो जातक को जीवन में तरक्की नहीं मिलती हैं धन की आवक रुक जाती हैं और विवाह आदि में समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं साथ ही घरेलू कलह भी बढ़ जाता हैं। ऐसे में पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष में उनका श्राद्ध तर्पण जरूर करें।
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