धर्म-अध्यात्म

मोहर्रम कब है? जानें तारीख, महत्व और इस पर्व का इतिहास

Shiddhant Shriwas
5 Aug 2021 8:33 AM GMT
मोहर्रम कब है? जानें तारीख, महत्व और इस पर्व का इतिहास
x
मोहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। यह महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मोहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। यह महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह के 10वें दिन आशुरा मनाया जाता है। यह इस्लाम मजहब का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार 19 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा।

इस्लाम मजहब की मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि अशुरा के दिन इमाम हुसैन का कर्बला की लड़ाई में सिर कलम कर दिया था और उनकी याद में इस दिन जुलूस और ताजिया निकालने की रिवायत है। अशुरा के दिन तैमूरी रिवायत को मानने वाले मुसलमान रोजा-नमाज के साथ इस दिन ताजियों-अखाड़ों को दफन या ठंडा कर शोक मनाते हैं।

इस दिन मस्जिदों पर फजीलत और हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर विशेष तकरीरें होती हैं। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, अशुरा को मोहम्मद हुसैन के नाती हुसैन की शहादत के दिन रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को शिया और सुन्नी दोनों मुस्लिम समुदाय के लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं।

इमाम हुसैन की शहादत की याद में मोहर्रम मनाया जाता है। यह कोई त्योहार नहीं बल्कि मातम का दिन है। जिसमें शिया मुस्लिम दस दिन तक इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते हैं। इमाम हुसैन अल्लाह के रसूल यानी मैसेंजर पैगंबर मोहम्मद के नवासे थे।

मोहम्मद साहब के मरने के लगभग 50 वर्ष बाद मक्का से दूर कर्बला के गवर्नर यजीद ने खुद को खलीफा घोषित कर दिया। कर्बला जिसे अब सीरिया के नाम से जाना जाता है। वहां यजीद इस्लाम का शहंशाह बनाना चाहता था। इसके लिए उसने आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया। लोगों को गुलाम बनाने के लिए वह उन पर अत्याचार करने लगा।

यजीद पूरे अरब पर कब्जा करना चाहता था। लेकिन उसके सामने हजरत मुहम्मद के वारिस और उनके कुछ साथियों ने यजीद के सामने अपने घुटने नहीं टेके और जमकर मुकाबला किया। अपने बीवी बच्चों की सलामती के लिए इमाम हुसैन मदीना से इराक की तरफ जा रहे थे तभी रास्ते में कर्बला के पास यजीद ने उन पर हमला कर दिया।

Next Story