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- कब है मां ताप्ती की...
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ताप्ती भारत देश की पवित्र नदियों में से एक है। ताप्ती नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित मुलताई तहसील के एक 'नादर कुंड' से होता है। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई खंभात की खाड़ी में जाकर समुद्र में मिल जाती है। ताप्ती नदी की कुल लंबाई लगभग 724 किमी है।
ताप्ती जन्मोत्सव आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 25 जून को ताप्ती नदी की जयंती मनाई जाएगी। ताप्ती नदी की वैसे तो कई सहायक नदियां हैं परंतु उसमें से प्रमुख है- पूर्णा नदी, गिरना नदी, पंजारा नदी, वाघुर नदी, बोरी नदी और अनर नदी। ताप्ती नदी में सैकड़ों कुंड एवं जल प्रताप के साथ डोह है जिसे कि लंबी खाट में बुनी जाने वाली रस्सी को डालने के बाद भी नापा नहीं जा सका है। ताप्ती के मुल्ताई में ही 7 कुंड है- सूर्यकुण्ड, ताप्ती कुण्ड, धर्म कुण्ड, पाप कुण्ड, नारद कुण्ड, शनि कुण्ड, नागा बाबा कुण्ड।
पौराणिक ग्रंथों में ताप्ती नदी को सूर्यदेव की बेटी माना गया है। कहते हैं कि सूर्यदेव ने अपनी प्रचंड गर्मी से खुद को बचाने के लिए ताप्ती नदी को जन्म दिया था। तापी पुराण अनुसार किसी भी व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति दिलाई जा सकती है, यदि वह गंगा में स्नान करता है, नर्मदा को निहारता है और ताप्ती को याद करता है। ताप्ती नदी का महाभारत काल में भी उल्लेख मिलता है। ताप्ती नदी की महिमा की जानकारी स्कंद पुराण में मिलती है।
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