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धर्म-अध्यात्म
कब है मोक्षदा एकादशी.....जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Bhumika Sahu
6 Dec 2021 5:20 AM GMT
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हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की 11वीं तिथि को एकादशी कहते हैं. एकादशी को भगवान विष्णु को समर्पित एक दिन माना जाता है. एक महीने में दो पक्ष होने के कारण दो एकादशी आती हैं, एक शुक्ल पक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व है. मोक्षदा एकादशी पर प्रभु श्री कृष्ण, विष्णु, महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भागवत गीता की खास रूप से पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत को अगर पूरी श्रद्धा और निष्ठा से किया जाए तो मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. उन्हें हर तरह के कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है. इस व्रत का इतना प्रभाव है कि इसको करने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप भी नाश होते हैं.
यही कारण है कि मनुष्य इस पावन व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करते हैं.आपको बता दें कि इस बार यह पूजनीय मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर दिन मंगलवार को मनाई जाएगी. तो आइए जानते हैं इसकी पूजा की विधि, शुभ मुहुर्त आदि के बारे में-
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi 2021 Puja Vidhi)
1. मोक्षदा एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को दोपहर के समय में ही एक बार भोजन करना चाहिए. इसके साथ ही ध्यान में रखना चाहिए कि रात्रि में भोजन नहीं करना होता है.
2. एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें और भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें.
3. व्रत का संकल्प लेने के बाद आप भगवान श्री कृष्ण के आगे धूप,दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए पूजा करें.
4. इतना ही नहीं इस दिन रात्रि में भी पूजा और जागरण करना चाहिए.
5. एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजन के बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन व दान से विशेष लाभ मिलता है.
मोक्षदा एकादशी तिथि, व्रत पारण मुहूर्त
इस बार मोक्षदा एकादशी तिथि 13 दिसंबर सोमवार की रात 09 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगी .ऐसे में उदयातिथि के कारण से मोक्षदा एकादशी के व्रत को 14 दिसंबर यानी कि मंगलवार को रखा जाएगा, इसके साथ ही इस व्रत का पारण 15 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 5 मिनट से सुबह 09 बजकर 09 मिनट के बीच करना होगा.
मोक्षदा एकादशी की कथा
एक समय गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था. एक रोज राजा ने सपने में देखा कि उसके पिता नरक में हैं, और अपने पुत्र से उद्धार की गुहार लगा रहे हैं. पिता कि दशा देखकर राजा परेशान हो गया. अगले दिन राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने सपने का भेद पूछा. तब ब्राह्मणों ने उनको बताया कि इस संबंध में पर्वत नामक मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछो. राजा ने ऐसा ही किया. जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो वे चिंतित हो गए.
उन्होंने राजा से कहा कि पूर्वजन्मों के कर्मों की वजह से उनके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है और उन्होंने मोक्षदा एकादशी के व्रत के बारे में बताया. उन्होंने राजा को बताया कि व्रत का फल अपने पिता को अर्पण करो, तो उनकी मुक्ति हो सकती है. राजा ने फिर मुनि के कथनानुसार ही मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन आदि करवाया, जिससे राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई.
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