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: हिंदू धर्म में एकादशी का महत्व बहुत अधिक माना गया है। हर वर्ष 24 एकादशियां होती हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेसक| हिंदू धर्म में एकादशी का महत्व बहुत अधिक माना गया है। हर वर्ष 24 एकादशियां होती हैं। लेकिन जिस वर्ष अधिकमास आता है उस वर्ष एकादशी 26 हो जाती हैं। इस वर्ष यानी 2020 की आखिरी एकादशी 25 दिसंबर को है। इसका नाम मोक्षदा एकादशी है। मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि यह एकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है। अगर इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ व्रत किया जाए तो व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इश दिन श्री हरि के नाम का संकीर्तन, भक्तिगीत, नृत्य करना चाहिए। साथ ही रात्रि जागरण भी करना चाहिए। आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त और महत्व-
मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त:
मोक्षदा एकादशी महत्व:
इसे मोक्षदायिनी एकादशी भी कहा जाता है। यह मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोक्षदा एकादशी, पितरों को मोक्ष दिलाने वाली एकादशी होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से न केवल व्रती के बल्कि उसके पितरों के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
पुराणों के अनुसार, धर्मराज युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण ने मोक्षदायिनी एकादशी का महत्व समझाया था। उन्होंने कहा था कि मोक्षदा एकादशी पुण्य फल देने वाली होती है। जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से अराधना करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, यही वो दिन था जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। ऐसे में इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
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