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सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं
सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं जिनमें मत्स्य जयंती भी विशेष मानी जाती है। धार्मिक पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल चैत्र मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि के दिन पड़ता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु के मत्स्य रूप की विधिवत पूजा करते है और उपवास रखते है।
मान्यता है कि भगवान विष्णु ने संसार के कल्याण और बुराई का नाश करने के लिए इसी तिथि पर मत्स्य अवतार धारण किया था। भगवान विष्णु के इस अवतार को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है, इस साल यह जयंती 24 मार्च दिन शुक्रवार को पड़ रही है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा मत्स्य जयंती से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते है।
मत्स्य जयंती मुहूर्त—
आपको बता दें कि इस साल मत्स्य जयंती का व्रत पूजन 24 मार्च दिन शुक्रवार को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 23 मार्च को 12 बजकर 30 मिनट पर होगा और इसका समापन 24 मार्च को शाम 5 बजे हो जाएगा। ऐसे में मत्स्य जयंती का पर्व 24 मार्च को किया जाना शुभ रहेगा। वही इस दिन पूजा का मुहूर्त सुबह 10 बजे से शाम 4 बजकर 15 मिनट तक का है। इस मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करना फलदायी साबित होगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है। इसमें भगवान विष्णु ने विशालकाय मछली का रूप धारण किया था। इसलिए इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा करते है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान आदि का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का संपूर्ण पाठ अगर किया जाए तो श्री हरि की कृपा से जीवन के कष्टों का समापन हो जाता है और खुशियों में वृद्धि होती है।
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Apurva Srivastav
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