धर्म-अध्यात्म

कब हैं महाशिवरात्रि, जानें पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

Triveni
30 Jan 2021 4:26 AM GMT
कब हैं महाशिवरात्रि, जानें पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त
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फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है.

जनता से रिश्ता वेबडेसक | फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा करने से भगवान शंकर आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा करने से और व्रत रखने वाले भक्तों को धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है. हालांकि, दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. ये अलग बात है कि ये दोनों ही तिथियां एक ही दिन पड़ती हैं. इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021 को मनाई जाएगी.

इस साल महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
पूजा मुहूर्त- रात्रि 12 बजकर 6 मिनट 41 से 12 बजकर 55 मिनट 14 सेकंड तक
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 36 मिनट 06 सेकंड से 03 बजकर 04 मिनट से 32 सेकंड तक
महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि
मिट्टी या फिर तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि के साथ शिवलिंग पर चढ़ाएं. शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र 'ऊं नम: शिवाय' का जाप करें. इस दिन रात्रि जागरण का भी विधान है. निशील काल में महाशिवरात्रि की पूजा को उत्तम माना गया है. आप चाहें तो अपनी सुविधानुसार भी पूजा कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि को लेकर कई सारी कथाएं प्रचलित हैं. एक प्रचलित कथा के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कड़ी तपस्या की थी. तपस्या के फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसी वजह से महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र दिन माना जाता है.
गरुड़ पुराण की एक कथा के अनुसार, एक निषादराज महाशिवरात्रि के दिन अपने कुत्ते के साथ शिकार करने गया था लेकिन उसे शिकार नहीं मिला तो थककर भूख-प्यास से परेशान हो एक तालाब के किनारे गया. वहां बिल्व वृक्ष यानी बेल के पेड़ के नीचे शिवलिंग था. उसने कुछ बेल के पत्ते तोड़े. उनमें से कुछ बेल के पत्ते शिवलिंग पर भी गिर गए.
ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया. उसे उठाने के लिए वो शिवलिंग के सामने झुका. इस तरह उसने अनजाने में ही शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया पूरी कर ली. मृत्यु के बाद यमदूत उसे लेने आए, तो भगवान शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और यमदूतों को भगा दिया. माना जाता है कि भगवान शिव अनजाने में अपने भक्त को इतना फल देते हैं, तो विधि-विधान से पूजा करने वालों को किसी प्रकार की कमी नहीं होने देते.


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