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![माघ प्रदोष व्रत कब है जानिए शुभ मुहूर्त व पूजा की विधि माघ प्रदोष व्रत कब है जानिए शुभ मुहूर्त व पूजा की विधि](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/02/08/1492554-download-43.webp)
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हिंदू धर्म में हर एक देवी देवता का अपना एक खास महत्व होता है. ऐसे में भगवान शिव (Lord shiv) की भक्त पूरी श्रद्धा भावना के साथ उपासना करते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में हर एक देवी देवता का अपना एक खास महत्व होता है. ऐसे में भगवान शिव (Lord shiv) की भक्त पूरी श्रद्धा भावना के साथ उपासना करते हैं. शिव भक्त अपने प्रभु को अलग अलग तरीकों से खुश करने की हमेशा कोशिश करते रहते हैं. वैसे तो सोमवार को शिव जी का दिन माना जाता है, लेकिन हर माह पड़ने वाला प्रदोष व्रत (pradosh vrat) भी भगवान भोलेनाथ को ही समर्पित होता है. प्रदोष व्रत हर तरह के कष्ट को जीवन से दूर करता है, यही कारण है कि इस व्रत को विशेष रूप से भक्त करते हैं, माघ शुक्ल त्रयोदशी के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत (Kab hai pradosh vrat) रखा जाएगा है. ऐसे में आइए जानते हैं माघ मास का अंतिम प्रदोष के बारे में.
माघ प्रदोष व्रत तिथि
हिंदू पंचांग के मुताबिक 2022 के माघ मास का अंतिम प्रदोष व्रत 14 फरवरी को होने वाला है, इस दिन सोमवार है. हालांकि त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी की शाम को 6 बजकर 42 मिनट से शुरू हो जाएगी. जबकि त्रयोदशी तिथि का समाप्ति 14 फरवरी की रात 8 बजकर 28 मिनट पर होने वाली है.
सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा ही प्रदोष काल में करना ही फलदायी होता है. ऐसे में इस बार प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 14 फरवरी की शाम 6 बजकर 10 मिनट से रात्रि 8 बजकर 28 मिनट तक होने वाला है. इस दिन प्रदोष काल के समय में खास रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.
जानिए सोम प्रदोष व्रत पूजन विधि
हिंदू शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत के दौरान भक्तों को कुछ खास नियमों का पालन कुछ खास नियमों का पालन करनी जरूरी होता है. वैसे तो प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, लेकिन द्वाद्शी तिथि से ही इस व्रत के कुछ नियम आदि शुरू हो जाते हैं. कहा जाता है कि इसी दिन से व्रत रखने वालों को तामसी भोजन करना बंद कर देना चाहिए. प्रदोष व्रत वाले दिन शुभ मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर भगवान शिव को जल अर्पित करना चाहिए और फिर फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, दूध, दही, भांग, धतूरा और पंचामृत आदि प्रभु को अर्पित करना चाहिए. आप इस दिन शिव चालीसा का पाठ और शिव मंत्र का जाप भी जरूर ही करें. इसके साथ ही पूरा दिन भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही व्रत का पारायण करना चाहिए.
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