धर्म-अध्यात्म

कब है करवा चौथ का व्रत? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, चांद निकलने का समय और सामग्री की पूरी लिस्ट

Shiddhant Shriwas
27 Sep 2021 2:01 AM GMT
कब है करवा चौथ का व्रत? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, चांद निकलने का समय और सामग्री की पूरी लिस्ट
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हिंदू धर्म में करवा चौथ का बहुत अधिक महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में करवा चौथ का बहुत अधिक महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं। करवा चौथ में निर्जला व्रत रखा जाता है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में श्रृंगार का भी खूब महत्व होता है। शाम को चंद्रमा की पूजा करने के बाद व्रत खोला जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ व्रत डेट, पूजा- विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट...

करवा चौथ डेट
इस साल 24 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त-
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 24 अक्टूबर सुबह 3 बजकर 1 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर
चांद निकलने का समय- रात्रि 8 बजकर 11 मिनट पर। अलग- अलग शहरों में चांद निकलने के समय में बदलाव हो सकता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त-
24 अक्टूबर शाम को 6 बजकर 55 मिनट से रात्रि 8 बजकर 51 मिनट तक।
इस साल बन रहा है शुभ संयोग
करवा चौथ पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद मंदिर की साफ- सफाई कर ज्योत जलाएं।
देवी- देवताओं की पूजा- अर्चना करें।
निर्जला व्रत का संकल्प लें।
इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा- अर्चना की जाती है।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है।
चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें।
इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़ा जाता है।
करवा चौथ पूजन सामग्री
चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि।


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