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हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtami) मनाई जाती है. ज्येष्ठ महीने में कालाष्टमी 2 जून बुधवार को पड़ रही है. कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना की जाती है. इससे आपके सभी दूख और परेशानियां दूर हो जाती है. इनकी पूजा करने से कुंडली में राहु-केतु और नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करना से विशेष फल की प्राप्ति होती है. कालाष्टमी के दिन पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए जानतै हैं इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
कालाष्टमी की पूजा शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अष्टमी आरंभ- 2 जून रात 12 बजकर 46 मिनट से
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अष्टमी समाप्त – 03 जून रात 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगा
कालाष्टमी व्रत का महत्व
कालाष्टमी के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा होती है. इस दिन व्रत रखने से कुंडली में राहु दोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. साथ ही शनि ग्रह के बुरे प्रभाव से भी बचा जा सकता है. कालाष्टमी के दिन भक्तों को भगवान भैरव के बटुक रूप की पूजा करनी चाहिए. क्योंकि वो उनका सौम्य रूप है. वहीं कालभैरव उनका रौद्र रूप है जो भक्तों के लिए परोपकारी और कल्याणकारी हैं.
पूजा विधि
इस दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. इसेक बाद घर के मंदिर में कालभैरव की मूर्ति की स्थापना करें और चारों तरफ गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद फूल, अक्षत, पान, इमरती, नारियल आदि चढ़ाएं. मूति के चारों तरफ चौमुखी दीप जलाएं और धूप- दीप करें. फिर भगवान कालभैरव का पाठ करें. इसके बाद 108 मंत्रों का जाप करें. आरती के बाद पूजा संपन्न करें.
मान्यताओं के अनुसार, भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता है. इस दिन कुत्ते को रोटी खिलाने से बहुत शुभ होता है. काल भैरव को रात्रि के समय में सरसों का तेल, उड़द, दीपक, काले तिल चढ़ाकर पूजा अर्चना करनी चाहिए.
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