धर्म-अध्यात्म

कब है जया एकादशी जाने महत्व करें पूजा एवं पारण का समय

Teja
9 Feb 2022 9:15 AM GMT
कब है जया एकादशी जाने महत्व करें पूजा एवं पारण का समय
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हिन्दू धर्म में जया एकादशी का खासा महत्व होता है. भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को रखते हैं. आइए जया एकादशी कब है...

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिन्दू धर्म में हर एक व्रत का एक खास महत्व होता है, इसी लिस्ट में शामिल है, एकादशी का व्रत (Ekadashi fast). हिंदू कैलेंडर के मुताबिक माघ माह (Magh Month) की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी का व्रत भक्तों के द्वारा रखा जाता है. इस साल 2022 में जया एकादशी व्रत फरवरी की 12 तारीफ यानी कि दिन शनिवार को है. आपको बता दें कि जया एकादशी का व्रत करने से कष्टों का नाश होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है और भगवान विष्णु की कृपा से व्रत करने वालों को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है, कष्टों से मुक्ति मिलती है, अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति प्राप्त होती है. तो आइए जानते हैं जया एकादशी के पूजा मुहूर्त (Muhurat) एवं पारण समय (Parana) के बारे में सब कुछ.

जानें जया एकादशी 2022 की पूजा का मुहूर्त
इस साल 2022 में माघ शुक्ल एकादशी तिथि का 11 फरवरी को दोपहर 01:52 बजे से शुरु हो रही है, जो कि 12 फरवरी को शाम 04:27 बजे तक रहने वाली है. ऐसे में जया एकादशी का व्रत 12 फरवरी को रखा जाएगा. इस दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:13 से दोपहर 12:58 बजे तक है.
आपको बता दें कि एकादशी के प्रात:काल स्नान आदि करने के बाद व्रत एवं विष्णु पूजा की पूजा का संकल्प लेकर और पूजा विधिपूर्वक करें.भगवान विष्णु पूजा में पंचामृत एवं तुलसी के पत्तों का प्रयोग जरुर करना चाहिए. हालांकि व्रत से एक दिन पूर्व तुलसी का पत्ता तोड़कर रख लें दरअसल माना जाता है कि एकादशी को तुलसी का पत्ता तोड़ने से दोष लगता है.
जानिए व्रत पारण का समय
जया एकादशी व्रत के पारण का समय 13 फरवरी को प्रात: काल 07:01 बजे से सुबह 09:15 बजे तक रहने वाला है. इस खास समय में ही आपको व्रत का पारण कर लेना चाहिए. इस दिन द्वादशी तिथि शाम को 06:42 ​बजे तक है. एकादशी की समाप्ति से पहले इस व्रत का परायण करना आवश्यक होता है.
जानिए क्या है जया एकादशी व्रत का खास महत्व
आपको बता दें कि माना जाता है कि जब इंद्रलोक की अप्सरा को श्राप के कारण पिशाच योनि में जन्म लेना पड़ा था, तो इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए उन अप्सपाओं ने जया एकादशी का व्रत किया था. भगवान विष्णु की कृपा से वह सभी पिशाच योनि से मुक्त हो गई थीं और फिर से उनको इंद्रलोक में स्थान प्राप्त हो गया था. खुद भगवान श्री कृष्ण ने भी धर्मराज युधिष्ठिर को जया एकादशी के पुण्य के बारे में बताया था.


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