धर्म-अध्यात्म

जन्माष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Subhi
20 Jun 2022 3:18 AM GMT
जन्माष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
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जन्माष्टमी हर साल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। जन्माष्टमी की पूजा खासकर मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में विधि-विधान से की जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।

जन्माष्टमी हर साल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। जन्माष्टमी की पूजा खासकर मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में विधि-विधान से की जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी मुरादें शीघ्र पूर्ण कर देते हैं। निसंतान स्त्रियां संतान की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करती हैं। हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त, गुरुवार के दिन पड़ रही है। श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार जन्माष्टमी पर वृद्धि योग बन रहा है, इसे बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा का विधान है। आइए जानते हैं इस बार जन्माष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि के बारे में।

जन्माष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी तिथि: 18 अगस्त 2022, गुरुवार

अष्टमी तिथि का आरंभ: 18 अगस्त, गुरुवार रात्रि 09: 21 मिनट से

अष्टमी तिथि का समाप्त:19 अगस्त, शुक्रवार रात्रि 10:59 मिनट तक

जन्माष्टमी 2022 की तिथि, शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी 2022 विशेष मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त 12: 05 मिनट से 12:56 मिनट तक

वृद्धि योग: 17 अगस्त, बुधवार, दोपहर 8: 56 मिनट से 18 अगस्त, गुरुवार, रात्रि 8: 41 मिनट पर

जन्माष्टमी के दिन राहुकाल

जन्माष्टमी के दिन राहुकाल

18 अगस्त, गुरुवार दोपहर 02: 06 मिनट से 03: 42 मिनट तक होगा

ऐसे करें जन्माष्टमी के दिन पूजा।

जन्माष्टमी पूजन विधि

जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।

इस दिन भगवान श्री कृष्ण को दूध और गंगाजल से स्नान करवाया जाता है और साथ ही नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।

इसके बाद उन्हें मोरपंख, बांसुरी, मुकुट, चंदन, वैजंयती माला, तुलसी दल आदि से सजाया जाता है।

इसके बाद उन्हें फल, फूल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग, मिठाई, मेवे आदि अर्पित करें।

फिर भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख दीप-धूप जलाएं।

आखिर में श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांटे।

साथ ही, पूजन के दौरान हुई भूल चूक की क्षमा मांगें।


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