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धर्म-अध्यात्म
जानकी जयंती कब है? जानिए जानकी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और कथा
Admin4
2 March 2021 1:50 PM GMT
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हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जयंती मनाई जाती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जयंती या सीता अष्टमी या जानकी जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, इसी दिन माता सीता धरती से प्रकट हुई थी। इस दिन व्रत रखने के साथ ही विधि विधान से पूजा करने का बड़ा महत्व है। इस बार जानकी जयंती 6 मार्च शनिवार को मनाई जाएगी। जानकी जयंती का दिन महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्व वाला होता है। इस दिन व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है। साथ ही पारिवारिक जीवन की परेशानियां समाप्त हो रही हैं। जिन लड़कियों की शादी नहीं हो रही है, वे मनचाही वर पाने के लिए जानकी जयंती का व्रत रखती हैं।
शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 05 मार्च, शुक्रवार को शाम 07 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक, अष्टमी तिथि का समापन 06 मार्च, शनिवार को शाम 06 बजकर 10 मिनट पर होती। उदया तिथि 06 मार्च 2021 को रहेगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर में भगवान राम और माता सीता की तस्वीर है तो उसकी पूजा करें। तस्वीर नहीं है तो समीप के मंदिर जाकर पूजा करें। माता सीता को पीले फूल, पीले वस्त्र और और सोलह श्रृंगार की वस्तुओं समर्पित करने फलदायक बताया गया है। भोग में पीले रंग के खाद्यान्न चढ़ाने के बाद मां की आरती करें। इस दौरान श्री जानकी रामाभ्यां नमः मंत्र का जाप करते हैं। दिनभर के व्रत के बाद शाम को सामान्य भोजन ग्रहण करें।
पढ़िए सीता जी के जन्म की कथा
रामायण में माता सीता को जानकी कहा गया है। उनकी पिता का नाम जनक होने के कारण जानकी नाम पड़ा। वैसे सीता जी को जनकजी ने गोद लिया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार. एक बार राजा जनक धरती जोत रहे थे। तब उन्हें धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई सुंदर कन्या मिली। तब राजा जनक की कोई संतान नहीं थी। राजा जनक ने उस कन्या को सीता नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया।
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