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धर्म-अध्यात्म
कब है आश्विन मास की इंदिरा एकादशी..... जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Bhumika Sahu
22 Sep 2021 3:31 AM GMT
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आश्विन मास शुरू हो चुका है. इस महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) कहा जाता है. एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। धार्मिक मान्यताओं में एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. हर महीने के दोनों पक्षों में ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का व्रत पूजन किया जाता है. साल भर में 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं. आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इस महीने इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर 2021 के दिन पड़ रही है.
ये एकादशी पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में पड़ रही है. पितृ पक्ष में पड़ने वाली इस एकादशी का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस एकादशी के दिन व्रत और पूजा करते हैं उनकी सभी दुख दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी के व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
इंदिरा एकादशी की शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 01 अक्टूबर 2021 को रात 11 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होगी. एकादशी तिथि समाप्त- 2 अक्टूबर 2021 रात को 11 बजकर 10 मिनट तक. एकादशी व्रत के पारण का समय 03 अक्टूबर 2021 को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 27 मिनट तक होगा.
इंदिरा एकादशी महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को नियम और निष्ठा के साथ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. अगर कोई व्यक्ति एकादशी व्रत करके उसका पुण्य पितरों को समर्पित करता है तो पितृ को मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन व्रत करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
इंदिरा एकादशी पूजा विधि
इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और संकल्प करें. अगर आपके घर में भगवान शालिग्राम हैं तो उनकी विधि- विधान से पूजा अर्चना करें. इसके बाद गंगाजल, चंदन, धूप, दीप, फूल आदि अर्पित करें. इंदिरा एकादशी के दिन महात्मय की कथा पढ़ना और सुनना चाहिए. इसके अलावा विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु सतनाम स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं. पाठ के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती उतारें और प्रसाद का भोग लगाकर परिवार के सदस्यों में बांटे.
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