धर्म-अध्यात्म

कब है होलिका दहन, जानिए पौराणिक कथा एवं महत्व

Triveni
26 March 2021 1:21 AM GMT
कब है होलिका दहन, जानिए पौराणिक कथा एवं महत्व
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होली का त्यौहार आने में कुछ ही दिन शेष हैं। इस वर्ष होली 29 मार्च, सोमवार को पड़ रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेसक | होली का त्यौहार आने में कुछ ही दिन शेष हैं। इस वर्ष होली 29 मार्च, सोमवार को पड़ रही है। इस हिसाब से होलिका दहन रविवार 28 मार्च 2021 को मनाया जाएगा। होलिका दहन का मुहूर्त रविवार को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 56 बजे तक का है। होलिका दहन को होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इसे होली से एक रात पहले मनाया जाता है। मान्यता है कि होली के त्यौहार पर होलिका पूजा करने से सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त होती है। होलिका दहन को लेकर एक कथा प्रचलित है जिसकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं।

होलिका दहन की पौराणिक कथा:
सबसे लोकप्रिय कथा भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और दानव होलिका के बारे में है। प्रह्लाद राक्षस हिरण्यकश्यप और उसकी पत्नी कयाधु का पुत्र था। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का शत्रु था। वह नहीं चाहता था कि प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करे। वह अपने पुत्र भगवान विष्णु का भक्त होने के खिलाफ था। एक दिन, उसने अपनी बहन होलिका की मदद से अपने बेटे को मारने की योजना बनाई। होलिका के पास एक दिव्य शॉल थी। होलिका को यह शॉल ब्रह्मा जी ने अग्नि से बचाने के लिए उपहार में दिया था। होलिका ने प्रह्लाद को लालच दिया कि वो प्रचंड अलाव में उसके साथ बैठे। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा के कारण, दिव्य शाल ने होलिका के बजाय प्रह्लाद की रक्षा की। इसलिए दानव होलिका जलकर राख हो गई और प्रह्लाद अग्नि से बाहर निकल आया। इसलिए इस त्यौहार को होलिका दहन के नाम से जाना जाता है।
होलिका दहन का महत्व:
होलिका दहन का महत्व अत्याधिक है। मान्यता है कि इस दिन समाज की समस्त बुराईयों का अंत होता है। यह बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का सूचक है। इस दिन गांव में लोग देर रात तक जागते हैं और होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं।

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