धर्म-अध्यात्म

हनुमान जयंती कब है,जानें पूजा का मुहूर्त एवं हनुमान जी की जन्म कथा

Kajal Dubey
23 March 2022 5:27 AM GMT
हनुमान जयंती कब है,जानें पूजा का मुहूर्त एवं हनुमान जी की जन्म कथा
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हिन्दू कैलेंडर के आधार पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को संकटमोचन राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिन्दू कैलेंडर के आधार पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को संकटमोचन राम भक्त हनुमान का जन्म (Lord Hanuman Birth) हुआ था. भगवान विष्णु को रामावतार के समय सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ. सीता खोज, रावण युद्ध, लंका विजय में हनुमान जी ने अपने प्रभु श्रीराम की पूरी मदद की. उनके जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था. हनुमान जी के जन्म दिवस को हनुमथ जयंती, हनुमान व्रतम् आदि नामों से भी जाना जाता है. हनुमान जयंती की तिथियां अलग अलग है, उस आधार पर सालभर में अगल-अलग तिथियों में हनुमान जयंती मनाई जाती है, लेकिन चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती की अत्यधिक मान्यता है. आइए जानते हैं हनुमान जयंती कब है, पूजा का मुहूर्त (Hanuman Jayanti 2022 Puja Muhurat) एवं हनुमान जी की जन्म कथा (Hanuman Janm Katha) क्या है.

हनुमान जयंती 2022 ति​थि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल दिन शनिवार को तड़के 02 अजकर 25 मिनट पर शुरु हो रही है. पूर्णिमा तिथि का समापन उसी दिन देर रात 12 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है. सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को प्राप्त हो रहा है, ऐसे में हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन ही व्रत रखा जाएगा और हनुमान जी का जन्म उत्सव मनाया जाएगा.
इस बार की हनुमान जयंती रवि योग, हस्त एवं चित्रा नक्षत्र में है. 16 अप्रैल को हस्त नक्षत्र सुबह 08:40 बजे तक है, उसके बाद से चित्रा नक्षत्र शुरु होगा. इस दिन रवि योग प्रात: 05:55 बजे से शुरु हो रहा है और इसका समापन 08:40 बजे हो रहा है.
​हनुमान जन्म कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, अयोध्या नरेश राजा दशरथ जी ने जब पुत्रेष्टि हवन कराया था, तब उन्होंने प्रसाद स्वरूप खीर अपनी तीनों रानियों को खिलाया था. उस खीर का एक अंश एक कौआ लेकर उड़ गया और वहां पर पहुंचा, जहां माता अंजना शिव तपस्या में लीन थीं.
मां अंजना को जब वह खीर प्राप्त हुई तो उन्होंने उसे शिवजी के प्रसाद स्वरुप ग्रहण कर लिया. इस घटना में भगवान शिव और पवन देव का योगदान था. उस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद हनुमान जी का जन्म हुआ. हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रवतार हैं.
माता अंजना के कारण हनुमान जी को आंजनेय, पिता वानरराज केसरी के कारण केसरीनंदन और पवन देव के सहयोग के कारण पवनपुत्र आदि नामों से भी जाना जाता है.



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