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धर्म-अध्यात्म
नवंबर में गोवत्स द्वादशी कब है, धनु, कुंभ और मकर समेत इन 5 राशियों के जातक जरूर रखें ये व्रत
Bhumika Sahu
26 Oct 2021 4:55 AM GMT
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गाय की महिमा का बखान करने वाला पर्व है गोवत्स द्वादशी। इस बार यह 2 नवंबर को है। इसमें प्रदोषव्यापिनी तिथि ली जाती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गाय की महिमा का बखान करने वाला पर्व है गोवत्स द्वादशी। इस बार यह 2 नवंबर को है। इसमें प्रदोषव्यापिनी तिथि ली जाती है। उस दिन सायंकाल के समय जब गाय चर कर वापस आएं तब गौ और बछडे़ का गन्ध आदि से पूजन करके इस मंत्र को पढ़ते हुए, उसके आगे के चरणों में अर्घ्य दें- क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते। सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
अर्थात् समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से उत्पन्न सुर तथा असुरों द्वारा नमस्कार की गई देवस्वरूपिणी माता (गौ माता) आपको बार-बार नमस्कार करता हूं। आप मेरे द्वारा दिए गए इस अर्घ्य को स्वीकार करें। और इस मंत्र से प्रार्थना करें-सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता। सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस।। तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलंकृते। मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी।।'
अर्थात् हे जगदम्बे! हे स्वर्गवासिनी देवी! हे सर्वदेवमयी! मेरे द्वारा दिए गए इस अन्न को आप ग्रहण करें तथा समस्त देवताओं द्वारा अलंकृत माता नन्दिनी आप मेरा मनोरथ पूर्ण करें।
मां और संतान के प्रेम का गुणगान है गोवत्स द्वादशी व्रत। देखा जाए तो कृष्ण ने गाय को सबसे अधिक प्रेम और मान्यता दिलाई है। वे तो खुद ही गोविन्द हो गए। गाय को महाभारत के आश्वमेधिक पर्व में सर्वदेवमय कहा गया है।
धन हो तो दूध देने वाली स्वस्थ गाय का दान करना चाहिए। कम से कम पांच, दस या सोलह बरस तक इस व्रत को करने के बाद ही उद्यापन करना चाहिए। इस व्रत को करने वाला अति उत्तम भोगों के साथ-साथ मृत्यु के बाद गोलोक धाम की प्राप्ति करता है।
वे लोग, जिनकी संतान पर शनि की साढे़साती (धनु, मकर और कुंभ राशि वाले जातकों पर) ढैया (मिथुन, तुला राशि वाले जातकों पर) चल रही है, उन्हें यह व्रत स्वयं रखना चाहिए। सेहत ठीक न होने पर संतान से यह व्रत जरूर करवाना चाहिए। इस दिन गायों को हरा चारा अपने हाथ से जरूर खिलाना चाहिए। गाय-बछड़ा न होने पर गाय-बछड़े की बनी मूर्ति की ही पूजा करें।
इस बात का स्मरण रखें कि आज के दिन खाद्य पदार्थों में गाय का दूध, दही, घी, छाछ, खीर, तेल के पके हुए भुजिया-पकौड़ी या अन्य कोई पदार्थ न लें।
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