धर्म-अध्यात्म

कब हैं गणगौर, जानें पूजा विधि और पूजन सामग्री लिस्ट

Triveni
1 April 2021 3:37 AM GMT
कब हैं गणगौर, जानें पूजा विधि और पूजन सामग्री लिस्ट
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हिंदू धर्म में गणगौर पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज मनाते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदू धर्म में गणगौर पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज मनाते हैं। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु की कामना के लिए गणगौर माता यानी माता गौरा की विधि-विधान से पूजा करती हैं। गणगौर तीज का व्रत मुख्य रूप में मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है। इस साल गणगौर व्रत 15 अप्रैल को है। गणगौर व्रत सुहागिनों के साथ कुंवारी कन्याएं भी उत्तम वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।

गणगौर तीज शुभ मुहूर्त 2021-
गणगौर तीज पूजा 2021- 15 अप्रैल 2021 (गुरुवार)
गौरी पूजा आरंभ- 29 मार्च 2021 (सोमवार) से।
गौरी पूजा समाप्त- 15 अप्रैल (गुरुवार) से।
चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि आरंभ- 14 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से।
चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि समाप्त- 15 अप्रैल शाम 03 बजकर 27 मिनट तक।
गणगौर पूजा शुभ मुहूर्त- 15 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 52 मिनट तक।
कुल अवधि- 35 मिनट।
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गणगौर व्रत पूजा विधि-
गणगौर होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक यानी 17 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता गवरजा (मां पार्वती) होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और आठ दिनों के बाद भगवान शिव (इसर जी) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं। फिर चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। होली के दूसरे दिन यानी कि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं मिट्टी के शिव जी यानी की गण एवं माता पार्वती यानी की गौर बनाकर प्रतिदिन पूजन करती हैं। इन 17 दिनों में महिलाएं रोज सुबह उठ कर दूब और फूल चुन कर लाती हैं। उन दूबों से दूध के छींटे मिट्टी की बनी हुई गणगौर माता को देती हैं। फिर चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं। दूसरे दिन यानी कि चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को शाम के समय उनका विसर्जन कर देती हैं। गणगौरों के पूजा स्थल गणगौर का पीहर और विसर्जन स्थल ससुराल माना जाता है। विसर्जन के दिन सुहागिनें सोलह श्रृंगार करती हैं और दोपहर तक व्रत रखती हैं।
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गणगौर व्रत पूजा सामग्री लिस्ट-
चौकी, तांबे का कलश, काली मिट्टी, श्रृंगार का सामान, चांदी की अंगुठी, होली की राख, गोबर या मिट्टी के कुंडे, गमले, मिट्टी का दीपक, कुमकुम, हल्दी, चावल, बिंदी, मेंहदी, गुलाल और अबीर, काजल, घी, फूल, आम के पत्ते, जल से भरा हुआ कलश, नारियल, सुपारी, गणगौर के कपड़े, गेंहू और बांस की टोकरी, चुनरी, कौड़ी, सिक्के, पूड़ी, घेवर, हलवा आदि।


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