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हिंदू धर्म में एकादशी (May 2023 Ekadashi) का विशेष महत्व माना जाता है और साल भर में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. हिंदी कैलेंडर के अनुसार, प्रति माह दो एकादशी तिथि पड़ती हैं, जिनमें से एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में आती है. आपको बता दें कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है और इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. मान्यतानुसार, एकादशी के दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के साथ साथ व्रत धारण करने से आप पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है. तो चलिए जानते हैं कि मई में कब एकादशी पड़ रही है.
मई माह में एकादशी कब है ? ( May 2023 Ekadashi Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 अप्रैल 2023 को रात 8 बजकर 28 मिनट पर प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 1 मई को रात 10 बजकर 9 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, एकादशी का व्रत 1 माई 2023, सोमवार के दिन रखा जाएगा. आपको बता दें कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, मोहिनी एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने वाले साधक को मृत्यु के पश्चात् बैकुण्ठ में जगह मिलती है.
मई माह में पड़ने वाली दूसरी एकादशी? ( May 2023 Ekadashi Date )
जैसा की हम सब जानते हैं कि हर महीने में 2 एकादशी पड़ती हैं. इसी क्रम में मई महीने में भी दो एकादशी पड़ रही हैं. जहां पहली एकादशी ( Mohini Ekadashi 2023 Date) 1 मई को मनाई जाएगी, तो वहीं मई माह में पड़ने वाली दूसरी एकादशी, जिसे हम निर्जला एकादशी के नाम से जानते हैं, हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मंगलवार, 30 मई दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू हो रही है, जो कि अगले दिन 31 मई दिन बुधवार को दोपहर 01 बजकर 45 पर समाप्त होगी. ऐसे में इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को मनाई जाएगी.
एकादशी का महत्व (Mohini Ekadashi Ka Mahatva)
एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है. ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने के साथ साथ व्रत धारण किया जाता है. वहीं वैशाख माह में पड़ने वाली एकादशी की बात करें, तो उसे मोहिनी एकादशी के नाम से जानते हैं. इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. बता दें कि मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान अमृत निकला था. तब असुरों से उसकी रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी स्वरूप धारण किया था. मोहिनी स्वरूप के मायाजाल में असुरों को फंसाकर देवताओं को अमृतपान कराया था. इसलिए उनका मोहिनी स्वरूप पूजनीय माना गया है. मान्यतानुसार, जो भी साधक इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना व व्रत धारण करता है, उस व्यक्ति के सारे कष्ट दूर होते हैं और उस व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात् बैकुण्ठ में स्थान मिलता है.
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Apurva Srivastav
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