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हिन्दी पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिन्दी पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है। इस बार यह प्रदोष व्रत मंगलवार 26 जनवरी को है। मंगलवार को होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत हर मास में दो बार आता है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव की विधि विधान से पूजा की जाती है। खास तौर पर भौम प्रदोष व्रत रहने और पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त एवं महत्व आदि के बारे में।
भौम प्रदोष व्रत का मुहूर्त
पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 25 जनवरी दिन सोमवार को देर रात 12 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है। त्रयोदशी तिथि 26 जनवरी को देर रात 01 बजकर 11 मिनट तक है। ऐसे में प्रदोष व्रत 26 जनवरी को रखा जाएगा।
भौम प्रदोष पूजा मुहूर्त
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही करने का महत्व है। सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पूर्व का समय प्रदोष काल होता है। इस बार 26 जनवरी को भौम प्रदोष व्रत की पूजा के लिए कुल 02 घंटे 39 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है। आपको उस दिन शाम को 05 बजकर 56 मिनट से रात 08 बजकर 35 मिनट के मध्य भोलेनाथ की पूजा कर लेनी चाहिए।
प्रदोष व्रत का महत्व
जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं, उनको भगवान शिव की कृपा से सुख, समृद्धि, निरोगी जीवन, संतान सुख आदि का आशीष प्राप्त होता है। भौम प्रदोष व्रत का व्रत करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, मदार, धतूरा, गंगाजल आदि अर्पित करना उत्तम और कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप, शिव चालीसा तथा शिव पुराण का पाठ करना कल्याणकारी होता है।
Triveni
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