धर्म-अध्यात्म

कब है भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, जानें- शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Teja
21 March 2022 8:34 AM GMT
कब है भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, जानें- शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी होती है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 21 मार्च दिन सोमवार यानी आज है। इस दिन व्रत रखते हैं, गणेश जी की पूजा करते हैं और चंद्रमा का दर्शन कर जल अर्पित करते हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत बिना चंद्रमा को जल अर्पित किए पूर्ण नहीं होता है।

प्रत्येक माह में दो बार चतुर्थी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है।
गौरी पुत्र गणेश को सर्वप्रथम पूजनीय देव माना गया है। हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता भी कहा जाता है। ऐसे में चतुर्थी व्रत करने और सच्चे मन से भगवान की अराधना करने से भक्तों की सभी बाधाएं दूर होती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना और उनकी उपासना की जाती है।
चतुर्थी व्रत को मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है। हर माह में आने वाली चतुर्थी का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र माह की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश भगवान अपने भक्तों की सभी परेशानियां और बाधाएं दूर करते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करता है, उसके जीवन से सभी दुःख और संकट दूर हो जाते हैं।
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 21 मार्च दिन सोमवार को प्रात: 08 बजकर 20 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन 22 मार्च दिन मंगलवार को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत 21 मार्च को रखा जाएगा क्योंकि चतुर्थी तिथि का समापन 22 मार्च को प्रात: ही हो जा रहा है।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त -21 मार्च सोमवार
शुभ मुहुर्त- 21 मार्च सुबह 8:20 से 22 मार्च सुबह 6:24 तक,
चन्द्रोदय- रात 8 बजकर 23 पर होगा।
व्रत की पूजा विधि
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर नित्य कर्म और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करें। उन्हें तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा, चंदन और मोदक अर्पित करें। साथ ही गणेश जी की आरती भी पढ़ें। इसके बाद सारा दिन व्रत रहें। रात में चांद निकलने से पहले गणेश भगवान की पूजा करें एवं चंद्रमा को अर्घ्य दें।






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