धर्म-अध्यात्म

कब है भड़ली नवमी, जानें तिथि और मुहूर्त

Tara Tandi
3 July 2022 8:47 AM GMT
कब है भड़ली नवमी, जानें तिथि और मुहूर्त
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आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी कहा जाता है। भड़ली नवमी को भडल्या नवमी, कंदर्प नवमी आदि नामों से भी जाना जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी कहा जाता है। भड़ली नवमी को भडल्या नवमी, कंदर्प नवमी आदि नामों से भी जाना जाता है। इस साल भड़ली नवमी 08 जुलाई 2022, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भड़ली नवमी शुभ विवाह या मांगलिक कार्यों के लिए अंतिम और उत्तम तिथि होती है। धार्मिक शास्त्रों में विवाह जैसे मांगलिक कार्यो के लिए भड़ली नवमी का दिन विशेष माना गया है। इसके बाद देवशयनी एकादशी आती है। इस दिन भगवान विष्णु अगले चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और चार्तुमास लग जाता है। इस दौरान शुभ व मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्यों में भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो पाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं भड़ली नवमी की सही तिथि, धार्मिक महत्व आदि के बारे में...

भड़ली नवमी 2022 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 07 जुलाई दिन गुरुवार को शाम 07 बजकर 28 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 08 जुलाई शुक्रवार को शाम 06 बजकर 25 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार भड़ली नवमी 08 जुलाई को मनाई जाएगी।
तीन शुभ योग में है भड़ली नवमी
पंचांग के अनुसार, इस साल भड़ली नवमी पर शिव योग समेत तीन शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन के महत्ता को और भी बढ़ा देते हैं। भड़ली नवमी को शिव, सिद्ध और रवि तीनों ही योग बन रहे हैं। ये तीनों योग मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए उत्तम हैं।
अबूझ मुहूर्त
इस नवमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। यानी भड़ली नवमी के दिन अक्षय तृतीया के समान ही आप बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा आप इस दिन किसी भी चीज की खरीदारी, नए कारोबार की शुरुआत और गृह प्रवेश भी कर सकते हैं।
चातुर्मास का प्रारंभ
भड़ली नवमी के दो दिन बाद से चातुर्मास का प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। इन चार महीनों में जगत का संचालन महादेव करते हैं। इस बीच किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
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