धर्म-अध्यात्म

कब हैं अक्षय तृतीया, जानें तिथि और पूजा विधि

Apurva Srivastav
2 April 2024 2:31 AM GMT
कब हैं अक्षय तृतीया, जानें तिथि और पूजा विधि
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नई दिल्ली : अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व होता है. प्रतिवर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया मनाई जाती है. इस दिन पूजा-पाठ करने पर माना जाता है कि जीवन से सभी तरह के दुख और कष्ट हट जाते हैं और जीवन में खुशहाली आने लगती है. घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए अक्षय तृतीया की पूजा की जाती है. मान्यतानुसार अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी (Ma Lakshmi) का पूजन होता है. जानिए इस साल कब पड़ रही है अक्षय तृतीया और किस तरह की जा सकता है अक्षय तृतीया पर पूजा संपन्न.
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पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई, शुक्रवार के दिन पड़ रही है. तृतीया तिथि का प्रारंभ 10 मई, सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगा और इसका समापन 11 मई के दिन सुबह 2 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा. अक्षय तृतीया की पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Shubh Muhurt) 10 मई के दिन सुबह 5 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट के बीच है. अक्षय तृतीया पर पूरा दिन अबूझ मुहूर्त रहता है. माना जाता है कि अबूझ मुहूर्त में जो भी कार्य किए जाते हैं वे अत्यधिक सफल रहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और मां लक्ष्मी की पूजा का अत्यधिक महत्व होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. मान्यतानुसार अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी अत्यधिक शुभ होती है. कहते हैं इस दिन घर लाई हर चीज फलती है.
अक्षय तृतीया की पूजा
सुबह सवेरे उठकर स्नान किया जाता है और स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद मंदिर में दीप प्रज्वलित किया जाता है. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूरे मनोभाव से पूजा की जाती है, आरती गाई जाती है और भोग लगाकर पूजा का समापन होता है.
अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता....
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
जिस घर तुम रहती सब सद्गुण आता
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
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