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धर्म-अध्यात्म
कब हैं अहोई अष्टमी का व्रत, जानें व्रत विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त
Bhumika Sahu
22 Oct 2021 4:43 AM GMT
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करवाचौथ के चार दिनों बाद रखा जाता है अहोई अष्टमी का व्रत. ये व्रत संतान प्राप्ति की मनोकामना और संतान की सलामती की कामना के साथ रखा जाता है. जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। करवाचौथ के चार दिनों बाद अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का पर्व आता है. हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ये व्रत रखा जाता है. अहोई अष्टमी व्रत महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और उज्जवल भविष्य के लिए रखती हैं. इस दिन भी महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.
माना जाता है कि जो महिलाएं नि:संतान हैं, वे भी संतान प्राप्ति की कामना के साथ अगर पूर्ण श्रद्धा से इस व्रत को रखें तो उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर गुरुवार के दिन रखा जाएगा. यहां जानिए व्रत विधि, शुभ मुहूर्त और अन्य जरूरी जानकारी.
ये है व्रत व पूजन विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर महादेव और माता पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लें. दिनभर निर्जल और निराहार व्रत रखें. इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. पूजा के समय अहोई माता, जो मां पार्वती का ही स्वरूप हैं, उनका चित्र गेरू से दीवार पर बनाएं. अहोई माता की रोली, पुष्प, दीप से पूजा करें, उन्हें दूध भात अर्पित करें. चांदी की दानों वाली स्याहु माला, जिसे कलावे में चांदी के दाने और माता अहोई की मूरत वाले लॉकेट के साथ बनाया जाता है, जल से भरा हुआ कलश, जल से भरा करवा चौथ का करवा, दूध और भात, हलवा, पुष्प और दीप आदि रखें. हाथ में गेंहू के सात दाने और कुछ दक्षिणा लेकर व्रत कथा पढ़ें या सुनें. कथा के बाद माला गले में पहन लें और गेंहू के दाने व दक्षिणा सास या किसी अन्य बुजुर्ग महिला को देकर उनका आशीर्वाद लें. शाम को तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलें. करवे के जल को दिवाली के दिन पूरे घर में छिड़कें. स्याहु की माला को दिवाली के दिन तक पहना जाता है. दिवाली के दिन इसे उतारकर जल के छीटें देकर सुरक्षित रख लें.
शुभ मुहूर्त
अहोई अष्टमी तिथि 28 अक्टूबर 2021 गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 29 अक्टूबर सुबह 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के हिसाब से देखा जाए तो ये त्योहार 29 अक्टूबर को होना चाहिए. चूंकि अहोई माता की पूजा शाम के समय की जाती है और 29 तारीख को 02 बजकर 10 मिनट के बाद नवमी तिथि लग जाएगी, इसलिए इस व्रत को 28 अक्टूबर को ही रखा जाएगा और शाम के समय पूजा की जाएगी. 28 अक्टूबर को पूजा का शुभ समय शाम 6 बजकर 40 मिनट से रात 8 बजकर 35 मिनट तक रहेगा.
इन कामों को माना जाता है बेहद शुभ
अहोई अष्टमी के दिन मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध चढ़ाना अति शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस दिन तुलसी का पौधा लगाना भी काफी हितकारी होता है. अगर संभव हो तो घर के सदस्यों की गिनती के हिसाब से तुलसी के पौधे लगाएं. अगर ऐसा न हो सके तो कम से कम एक पौधा तो जरूर लगाएं.
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