धर्म-अध्यात्म

कब पति के दायीं ओर और कब बायीं ओर बैठती है पत्नी! जानिए सब कुछ

Rani Sahu
9 April 2022 9:24 AM GMT
कब पति के दायीं ओर और कब बायीं ओर बैठती है पत्नी! जानिए सब कुछ
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महादेव (Mahadev) के अर्धनारीश्वर रूप में उनके शरीर के बाएं हिस्से से स्त्री को उत्पन्न दिखाया जाता है

महादेव (Mahadev) के अर्धनारीश्वर रूप में उनके शरीर के बाएं हिस्से से स्त्री को उत्पन्न दिखाया जाता है. इस कारण पत्नी को वामांगी (Vamangi) कहा जाता है. वामांगी यानी जो पुरुष के शरीर के बाएं अंग का हिस्सा हो. तमाम शुभ कार्यों (Auspicious Works) में पत्नी को पति की बायीं तरफ बैठाया जाता है, लेकिन कुछ कार्यों में वो दायीं ओर बैठती है. ऐसे में मन में ये सवाल आना लाजमी है, कि आखिर वामांगी होने के बावजूद तमाम कार्यों में पत्नी को पति के दायीं ओर क्यों बैठाया जाता है? कब पत्नी का पति की दायीं तरफ बैठना और कब बायीं तरफ बैठना शास्त्र सम्मत है, यहां जानिए इसके बारे में.

इन कार्यों में दाहिनी ओर बैठती है पत्नी
शास्त्रों में बताया गया है कि कन्यादान, विवाह, यज्ञकर्म, जातकर्म, नामकरण और अन्नप्राशन के दौरान पत्नी को पति के दायीं ओर बैठना चाहिए. इसकी वजह है कि ये सभी काम पारलौकिक माने जाते हैं और इन्हें पुरुष प्रधान माना गया है, इसलिए इनमें पत्नी को दायीं ओर बैठाने की बात कही गई है. इसके अलावा सोते समय, सभा में, सिंदूरदान, द्विरागमन, आशीर्वाद ग्रहण करते समय और भोजन के समय पत्नी को पति के बायीं ओर बैठना चाहिए क्योंकि ये कर्म संसारिक होते हैं. सांसारिक कर्म स्त्री प्रधान माने गए हैं, इनमें पत्नी को पति की बायीं तरफ बैठना चाहिए.
क्यों पत्नी कहलाती है अर्द्धांगिनी
पत्नी को अर्द्धांगिनी कहकर भी संबोधित किया जाता है. इसका सार है कि शादी के बाद एक पत्नी अपने पति के जीवन को खुद के साथ बांट लेती है. उसके सुख और दुख दोनों को भोगती है, उसके जीवन की हर परिस्थिति का हिस्सा बन जाती है. जीवन संगिनी बनकर पति के दायित्वों की भागीदार बन जाती है और उन्हें पूरी निष्ठा के साथ निभाती है. पत्नी के बिना पति का जीवन अधूरा होता है. इसलिए हमारे शास्त्रों में उसे अर्द्धांगिनी कहा गया है.
पत्नी को लेकर भीष्म पितामह ने दिया था ये ज्ञान
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने पत्नी को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं. पितामह का कहना था कि पत्नी घर की लक्ष्मी होती है. उसी से वंश की वृद्धि होती है. पत्नी का हमेशा सम्मान करना चाहिए और उसे प्रसन्न रखना चाहिए. जिस घर में लक्ष्मी प्रसन्न होती है, वहां हर तरफ से खुशियों का आगमन होता है.
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