धर्म-अध्यात्म

अमावस्या के बाद कब और क्यों किया जाता है चंद्र दर्शन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

SANTOSI TANDI
15 Sep 2023 7:34 AM GMT
अमावस्या के बाद कब और क्यों किया जाता है चंद्र दर्शन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हिंदू धर्म में हर महीने, हर दिन और हर तिथि की कोई ना कोई खास विशेषता होती है. भाद्रपद मास भी कई मायनों में खास है. ये महीना भगवान विष्णु को समर्पित है. इसके साथ ही हिंदू धर्म के कई बड़े त्योहार भी इसी महीने पड़ते हैं. हाल ही में जन्माष्टमी का पर्व मनाने के बाद लोग अब गणेश चतुर्थी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इन्ही दिनों में कई अन्य महत्वपूर्ण तिथि भी पड़ रही हैं, जैसे गुरुवार को पिठोरी अमावस्या थी जिसमें पूजा पाठ और पितरों का तर्पण का विशेष महत्व है. पिठोरी अमावस्या के बाद अब चंद्र दर्शन किए जाएंगे. आइए जानते हैं भाद्रपद माह की अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन कब होंगे और क्या है इसका महत्व.
अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है. इस दिन चंद्र देव की पूज की जाती है. दरअसल चंद्रमा को मन, बुद्धि और ज्ञान का कारक माना गया है. ऐसे में चंद्र दर्शन से आंतरिक शांति प्राप्त होती है और मानसिक तनाव भी दूर होता है. कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के बाद ही व्रत खोलते हैं. इस महीने चंद्र दर्शन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 16 सितंबर को किए जाएंगे.
चंद दर्शन का समय
16 सितंबर को शाम 06 बजकर 40 मिनट पर चंद्रोदय होगा और शाम 07 बजकर 29 मिनट पर चंद्रास्त होगा. इस दौरान चंद्र दर्शन किए जा सकते हैं.
चंद्र दर्शन पूजा विधि
भाद्रपद माह कि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सुबह जल्दी उठें और स्नान कर मंदिर साफ कर दीया जलाएं और भगवान की पूजा करें. अगर आपको इस दिन व्रत रखना है तो इस दौरान व्रत का संकल्प भी लें. इसके बाद शाम को चंद्र दर्शन से पहले फिर एक बार स्नान करें और सफेद वस्त्र धारण करें. हाथ में एक फल लेकर चंद्रमा के दर्शन करें और मंत्रों के साथ चंद्र देव की पूजा करें. इसके बाद उन्हें रोली, फल और फूल अर्पित करें और चावल से बनी खीर का भोग लगाएं. चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें.
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