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गुरु शत्रु ग्रहों से घिरा हो तो आयु अल्प होती है। बुध, गुरु और शुक्र नौवें भाव में हों तो आयु अल्प होगी।
पराशर ऋषि के अनुसार आयु गणना की लगभग 82 विधियां है। ज्योतिष मनुष्य के जीवन के हर पहलू की जानकारी देता है। उसकी आयु का निर्धारण भी करता है। मगर जीवन-मरण ईश्वर की ही इच्छानुसार होता है अतः कोई भी भविष्यवक्ता इस बारे में घोषणा न करें ऐसा गुरुओं का निर्देश होता है। कई बार कुंडली में अल्पायु योग होते हैं परंतु हाथों में नहीं और कई बार हाथों में होते हैं परंतु कुंडली में नहीं। इसलिए इसको ज्यादा गंभीरता से नहीं ले सकते हैं। यहां जो जानकारी दी जा रही है वह संक्षिप्त में है इसे पूर्ण ना माना जाए। पूर्ण से ही किसी प्रकार का निर्णय लिया जा सकता है।
- लाल किताब के अनुसार आयु का विचार चंद्र से करते हैं। चंद्र की भाव स्थिति के अनुसार आयु का निर्धारण किया जाता है। चंद्र का शुक्र से संबंध हो तो आयु 85 वर्ष होगी। पुरुष ग्रह का साथ हो तो 96 वर्ष और पाप ग्रह से संबंध हो तो 30 वर्ष कम होगी। अर्थात 60 वर्ष।
- शनि व गुरु की युति वाली कुंडली में जातक की आयु का निर्णय 11वें भाव के ग्रहों से करें। किंतु 11वां भाव रिक्त हो तो जन्मकुंडली चंद्र की आयु के अनुसार ही समझें।
- यह भी कहा जाता है कि गुरु ग्रह की स्थिति के अनुसार ही आयु का निर्धारण होता है। गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में है तो आयु भी लंबी होगी।
- गुरु 6, 8, 10 या 11वें भाव में हो तो आयु 2 वर्ष, शुक्र व मंगल 7वें भाव में हों तो 2 वर्ष, मंगल या बुध 7वें भाव में हो तो 2 वर्ष, बुध, शुक्र व चंद्र 5वें भाव में हों तो 2 वर्ष, चंद्र और केतु पहले भाव में हों और चैथा भाव रिक्त हो तो 2 वर्ष, चंद्र 5वें में हो तो 12 वर्ष, सूर्य 11वें में हो तो 12 वर्ष और शनि 5वें में हो और पुरुष ग्रह का साथ न हो तो जातक दीर्घायु होता है।
- गुरु शत्रु ग्रहों से घिरा हो तो आयु अल्प होती है। बुध, गुरु और शुक्र नौवें भाव में हों तो आयु अल्प होगी। गुरु के शत्रु बुध, शुक्र और राहु नौवें भाव में हों तो आयु अल्प होगी। चंद्र और राहु सातवें या आठवें भाव में हों तो आयु अल्प होगी। बुध नौवें भाव में हो तो प्रत्येक 8वां दिन, मास और 8वां वर्ष अशुभ होगा व किसी पशु के कारण मृत्यु होगी।
- चंद्र और गुरु बारहवें भाव में हों तो आयु दीर्घ होगी। जन्म कुंडली में स्थित अशुभ ग्रह वर्ष कुंडली में भी उसी भाव में अशुभ हों तो उस वर्ष में अधिक अशुभ फल प्राप्त होते हैं। जन्म कुंडली के 8वें भाव में स्थित ग्रह जब वर्ष कुंडली के 8वें भाव में आ जाए तो उसके मित्र ग्रह बलि का बकरा बनेगा। छठे भाव में संबंधित ग्रह कारक होगा।
- छठे भाव में स्थित ग्रह वर्ष कुंडली के लग्न भाव में आ जाए तो उसका मित्र ग्रह बलि का बकरा बनेगा। 8वें भाव में संबंधित ग्रह अल्पायु होने का संकेत देते हैं। जब बारहवां भाव रिक्त हो तो चंद्र जिस भाव में स्थित होगा उस भाव से संबंधित वार को मृत्यु होगी। यदि नौवां व बारहवां भाव रिक्त हो तो 9-12 के सामने का वार लेंगे।
- चंद्र व केतु छठे भाव में हों या चंद्र छठे व सूर्य 10वें में हो तो आयु अल्प होती है। सूर्य शनि के किसी भाव (9वें या 12वें) में हो या पुरुष ग्रहों के साथ हो तो आयु मध्यम होगी। सूर्य व चंद्र की युति 11वें भाव में हो तो आयु ठीक होगी। चंद्र और केतु पहले भाव में हों और चैथा भाव रिक्त हो तो आयु मध्यम होगी। चंद्र 5वें और सूर्य 11वें में हो और पुरुष ग्रह उनके मित्र हों या न हों तो आयु मध्यम होगी।
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Apurva Srivastav
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