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कुंभ के दौरान गंगा स्नान करने वालों को मिलेगा यह लाभ, जानें इस वर्ष का इनके महत्व
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| धार्मिक रूप से साल 2021 कई खास मौके लेकर आया है.साल के शुरू होने के साथ ही कुंभ वर्ष की भी शुरुआत हो चुकी है. 14 जनवरी को हरिद्वार में पूर्ण कुंभ मेले का शुभारंभ होगा जो अगले 48 दिनों तक चलेगा. इस दौरान शाही स्नान के लिए चार तिथियों को तय किया गया है. वहीं छह दिन प्रमुख स्नान होगा. इस बीच देश और विदेश से तमाम लोग पावन गंगा में डुबकी लगाने हरिद्वार आएंगे. जानिए कुंभ के दौरान गंगा स्नान का महत्व.
ये है स्नान का महत्व
शास्त्रों में पूर्ण कुंभ में स्नान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दौरान जो भी गंगा स्नान करता है उसके लिए मोक्ष प्राप्त के द्वार खुल जाते हैं. शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती है. रोग विकार, पाप का नाश हो जाता है. इसीलिए कुंभ स्नान के दौरान तमाम लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान भी करते हैं.
मुख्य आकर्षण होता है शाही स्नान
इस साल महाकुंभ में शाही स्नान के लिए चार तिथियां तय की गई हैं. शाही स्नान कुंभ का मुख्य आकर्षण होता है. इस दिन विभिन्न अखाड़ों की ओर से भव्य झांकी निकाली जाती है. शाही स्नान करने जाते समय साधु संत अपनी अपनी परंपरा अनुसार हाथी या घोड़े पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ या फिर राजसी पालकी में निकलते हैं. आगे नागाओं की फौज होती है और पीछे महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर होते हैं. इस बार कुंभ में पहला शाही स्नान 11 मार्च महाशिवरात्रि के दिन, दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या, तीसरा मुख्य शाही स्नान 14 अप्रैल मेष संक्रांति और अंतिम शाही स्नान 27 अप्रैल को चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को होगा.
इसलिए 11वें साल में लग रहा है कुंभ
आमतौर पर पूर्ण कुंभ का आयोजन 12 साल में होता है. जब मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में बृहस्पति आता है तब कुंभ का आयोजन किया जाता है. लेकिन साल 2022 में बृहस्पति कुंभ राशि में नहीं होंगे. इसलिए इस बार एक साल पहले ही महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. यानी इस बार 11वें साल में ही कुंभ पड़ेगा. इससे पहले वर्ष 2010 में कुंभ मेले का आयोजन हुआ था.