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धर्म-अध्यात्म
क्या है ध्यान का आध्यात्मिक महत्व, जानिए इसका सही तरीका
Manish Sahu
15 Aug 2023 3:16 PM GMT
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धर्म अध्यात्म: ध्यान एक कल्पवृक्ष की तरह है। ध्यान एक ऐसी महत्वपूर्ण शिक्षा है, जिसकी आवश्यकता हमें लौकिक जीवन में भी पड़ती है और आध्यात्मिक अलौकिक क्षेत्र में भी इसका उपयोग किया जाता है। आज विज्ञान ने भी ध्यान यानी मेडिटेशन के कई लाभों को स्वीकार किया है। आध्यात्मिक क्षेत्र में माना गया है कि आत्मा के परमात्मा से मिलन के लिए लक्ष्य पर ध्यान को एकाग्र करना आवश्यक है।
क्या है ध्यान का आध्यात्मिक महत्व
ज्ञान को जितना सशक्त बनाया जाता है, वह उतना ही वह किसी भी क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। मनुष्य की इच्छा पूर्ति की सभी दिशाओं में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उपासना के क्षेत्र में भी ध्यान विशेष महत्व रखता है। भक्ति व अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ध्यान को महत्वपूर्ण साधन माना गया है।
आध्यात्मिकता में ध्यान का उद्देश्य है अपने स्वरूप और अपने लक्ष्य की विस्मृति के कारण उत्पन्न हुई बाधाओं से छुटकारा पाना। ध्यान तन, मन और आत्मा के बीच लयात्मक सम्बन्ध बनाता है और उसे बल प्रदान करता है। ध्यान का नियमित अभ्यास करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती और मानसिक शांति की अनुभूति होती है।
ध्यान का उचित आसन
ध्यान के लिए उचित आसन में होना सबसे जरूरी है। ध्यान इस विधि से करना चाहिए कि आपका मेरुदंड सीधा हो। जब साधक अपने मन और प्राणशक्ति को मेरुदंड में चक्रों से होते हुए उधर्व चेतना की ओर भेजने के लिए प्रयास करता है, तो उसे अनुचित आसन के कारण मेरुदंड की नाड़ियों में होने वाली सिकुड़न व संकुचन से बचना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
जमीन पर आसन बिछाकर पालथी मारकर सुखासन या पद्मासन में बैठें। ध्यान का अभ्यास करते समय शुरू में 5 मिनट भी काफी होते हैं। अभ्यास से 20-30 मिनट तक ध्यान लगा सकते हैं। ध्यान करने के लिए ऐसी जगह का चयन करें जो एकदम शांत हो।
इस तरह शुरू करें ध्यान
ध्यान की शुरुआत में प्राणायाम करना या थोड़ी देर तक लम्बी सांस धीरे-धीरे लेना और धीरे-धीरे छोड़ना चाहिए। इससे मष्तिष्क सक्रिय होता है और विचारों को नियंत्रित करना सम्भव होता है। गुस्से में, जोश में सांस बहुत तेज चलने लगती है और दुःख और निराशा में सांस धीमी हो जाती है।
सांस की गति का विचारों पर असर होता है और असामान्य सांस से मानसिक अस्थिरता पैदा होती है। इसलिए प्राणायाम या गहरी और लम्बी सांस मन और विचारों में शांति लाती है, जिससे मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है।
परमात्मा का ध्यान करें
यह संसार ऊर्जा के अलग-अलग रूपों की अभिव्यक्ति है। ऐसा माना जाता है कि हम भी उसी असीम ऊर्जा का एक भाग हैं और उससे जुड़े हुए हैं। अपने आप को उस परम स्रोत का अंश मानने से हमें अपनी असीम क्षमता और संभावनाओ का अनुभव होता है। ध्यान शुरू करते समय ईश्वर से प्रार्थना की जाती है कि हमारा ध्यान सफल हो और हमें अपने दिव्य वास्तविक स्वरूप का अनुभव हो सके।
Manish Sahu
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