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इस्लाम धर्म में शब-ए-कद्र की रात का बड़ा महत्व बताया गया है.
इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को बेहद पवित्र महीना माना जाता है. लोग इस पूरे महीने रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. लेकिन आखिरी अशरे यानी रमजान के 10 दिनों का खास महत्व है. दूसरी ओर, रमजान की आखिरी दस रातों की विषम संख्या वाली रातों में से एक शब-ए-कद्र (Shab E Qadr 2023) की रात है. आइये जानते हैं कब है शब-ए-कद्र की रात और क्या क्या है इसका महत्व.
शब-ए-कद्र की रात कब है
रमजान की तमाम रातों में शब-ए-कद्र की रात खास और बेहद पवित्र मानी जाती है. शब का अर्थ है रात और कद्र का अर्थ है पवित्र. शब-ए-कद्र यानी पवित्र रात. रमजान के महीने की आखिरी 10 रातों में 21, 23, 25, 27, 29 जैसी विषम संख्या वाली रातों में से 27वीं रात को शब-ए-कद्र की रात कहा जाता है. इस साल 26वां रोजा 18 अप्रैल को रखा जाएगा और 26 वें रोजे की तारीख रमजान महीने की 27वीं रात होगी.
शब-ए-कद्र की रात का महत्व
इस्लाम धर्म में शब-ए-कद्र की रात का बड़ा महत्व बताया गया है. इस रात की कई इबादत का फल 84 साल और 4 महीने की इबादत के बराबर होता है. माना जाता है कि शब-ए-कद्र की रात अल्लाह की कृपा से फरिश्ते और जिब्रील आसमान से उतरते हैं. शब-ए-कद्र की रात की अहमियत और भी बढ़ जाती है क्योंकि इसी रात अल्लाह ने मोमिन के मार्गदर्शन के लिए आसमान से कुरान पाक को उतारा है. इसलिए इस रात में रोजे रखने वाले पवित्र कुरान पढ़ते हैं और तिलावत करते हैं.
शब-ए-कद्र की रात रोज़ेदारों को क्या करना चाहिए?
रमजान के महीने की तमाम रातों में शब-ए-कद्र की रात सबसे सुकून भरी रात कही जाती है. रोजेदारों को इस रात को अपने गुनाहों का तौबा और अल्लाह की इबादत करते हुए गुजारनी चाहिए. इसलिए इस रात को उठकर जितना हो सके अल्लाह की इबादत करें. शब-ए-कद्र की रात रोजेदारों को अल्लाह की इबादत, जिक्रो-अज्कार, दुआ, कुरान की तिलावत आदि का ध्यान रखना चाहिए. अपने के साथ-साथ अपने बड़ों और मां-बाप के गुनाहों की माफी अल्लाह से मांगें.
Apurva Srivastav
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